दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस को लेकर भी सियासत शुरू हो गई है. दिल्ली BJP अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल पर हमलावर होते हुए कहा कि इससे पहले 2014 में भी उन्होंने इस संवैधानिक प्रक्रिया का अपमान किया था जब उन्होंने राजपथ पर धरना देकर स्वतंत्रता दिवस समारोह को बाधित करने की कोशिश की थी.
वीरेंद्र सचदेवा ने आगे कहा, “अब जब वे आबकारी मामले में जेल में बंद हैं, तो वे उनकी मंत्री आतिशी द्वारा ध्वजारोहण की सिफारिश उपराज्यपाल से कर रहे हैं, जबकि इस राष्ट्रीय पर्व पर देश और राज्य का मुखिया ही तिरंगा फहरा सकता है और यह सर्व विदित है. केजरीवाल द्वारा उपराज्यपाल को लिखा पत्र प्रमाणित करता है कि आम आदमी पार्टी और उसके नेता कल भी अराजक थे आज भी अराजक हैं.”
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि राष्ट्र ध्वज प्रोटोकोल अनुसार राज्यों में केवल मुख्यमंत्री के द्वारा ध्वजारोहण का प्रावधान है. संविधान एवं राष्ट्र ध्वज प्रोटोकोल निर्माताओं ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी की कभी देश में ऐसा हठधर्मी मुख्यमंत्री आएगा जो जेल जा कर भी पद से इस्तीफा नही देगा.
उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में 1991, 1993 और 2014 में जब मुख्यमंत्री नहीं थे तो उपराज्यपाल ने ध्वजारोहण किया था. ऐसे में अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिरंगा फहराने के लिए बाहर नहीं आ सकते हैं तो उनकी जगह उपराज्यपाल तिरंगा फहराने के अधिकारी होते हैं. अगर वे चाहते हैं कि आतिशी ही दिल्ली सरकार की तरफ से ध्वजारोहण करे तो उन्हें अपना त्यागपत्र देकर उन्हें मुख्यमंत्री बना देना चाहिए ताकि इस समस्या के साथ बाधित हुई दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था का समाधान हो सके.
दिल्ली कांग्रेस ने भी निशाना साधा है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का संवैधानिक अधिकार केवल राज्य के मुख्यमंत्री का ही होता है, यह कोई दैनिक गतिविधि नहीं जो उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इसे बदला जा सके. राष्ट्र ध्वज केवल देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुखिया ही फहरा सकता है. उन्होंने कहा कि जेल में बैठे केजरीवाल इस्तीफा देकर नया मुख्यमंत्री नामित करने की जगह मंत्रिमंडल की मंत्री को झंडा फहराने का अधिकार देना संविधान और संवैधानिक मान्यताओं का अपमान करना है.
स्वतंत्रता दिवस-गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण एक संवैधानिक परम्परा
देवेंद्र यादव ने कहा कि BJP और आम आदमी पार्टी ने कभी भी देशवासियों और संविधान का सम्मान नही किया. एक पार्टी संविधान को बदलने तक की बात करती है दूसरी पार्टी के मुख्यमंत्री संविधान की मान्यताओं को अपमान करते है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण एक संवैधानिक परंपरा है जिसको देश अथवा राज्य का मुखिया ही निभा सकता है.