हमारे यहां पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों पुरानी है. माता-पिता, गुरु या फिर किसी वरिष्ठ व्यक्ति के चरण स्पर्श के पीछे आशीर्वाद पाने की कामना निहित होती है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में लोग मंगल कामना का भाव लिए अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि किसी के पैर छूने का सही नियम क्या है?
देवी-देवता से भी जुड़ी है परंपरा
सनातन काल से चली आ रही चरण स्पर्श की परंपरा का जुड़ाव सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं से भी रहा है. अपने आत्मीयजनों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए न सिर्फ पैर छूने बल्कि चरण को धोने के कई उदाहरण मिलते हैं.
पैर छूने के बड़े लाभ
भले ही आजकल किसी व्यक्ति के पैर छूने के पीछे दूसरों को सम्मान देने की भावना निहित हो लेकिन इस परंपरा के पीछे कई ऐसे कारण हैं, जिनके पीछे मानव मात्र का कल्याण निहित होता है. जिन्हें जानने के बाद आप भी इस परंपरा को अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे. इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारे भीतर आशीर्वाद के रूप में प्रवाहित होता है, जिसके माध्यम से हमें सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ज्योतिष के अनुसार पैर छूने की परंपरा पालन करने पर नवग्रहों के दोष भी दूर होते हैं.
पैर छूने के नियम
जब किसी का पैर छूना हो तो अपने दोनों हाथ को क्रास करके बाएं हाथ से बायां पैर और दाएं हाथ से दायां पैर छूना चाहिए. इसी प्रकार साष्टांग प्रणाम में पूरी विनम्रता एवं श्रद्धा के साथ अपना सिर दोनों हाथों के बीच में रखते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर चरण स्पर्श करना चाहिए.
किसके छूने चाहिए पैर
पैर छूने परंपरा का संबंध सिर्फ बड़ों से ही नहीं बल्कि छोटों से भी जुड़ी हुई है. आशीर्वाद की कामना लिए बड़ों के साथ तमाम तीज-त्योहार में कन्याओं के पैर छूने का विधान है.
नवग्रहों का दूर होगा दोष
ज्योतिष के अनुसार अपनों से बड़ों के चरण स्पर्श करने से नवग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं. मान्यता है कि पिता के पैर छूने पर सूर्य, दादी, नानी, मां, चाची, मौसी, ताई, सास आदि के पैर छूने से चंद्र, बड़े भाई के पैर छूने से मंगल, बहन और बुआ के पैर छूने से बुध, गुरुओं, संतों, ब्राह्मणों के पैर छूने से बृहस्पति, बुजुर्गों के पैर छूने से केतु और भाभी के पैर छूने से शुक्र मजबूत होता है.?