बेंगलुरु.चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर लगातार इससे जुड़े अपडेट शेयर कर रहा है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान नीचे उतर चुका है और चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी शुरू कर दी है. वहीं, लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान के हर मूव को कैप्चर कर रहा है. वह चंद्रयान-2 के भी संपर्क में है, जो इस समय चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है.
इसरो ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘X’ पर अपने नए अपडेट में एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम के पेट से निकलकर चंद्रमा पर उतरता दिख रहा है. रोवर जैसे चांद की सतह पर आगे बढ़ता है तो उसके पहियों की लीक बनती दिख रही है. रोवर चांद पर जहां-जहां जाएगा, उसके पहिए भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ते जाएंगे. दरअसल, रोवर प्रज्ञान के पहियों में ही अशोक स्तंभ और इसरो का लोगो उकेरा गया है.
… … and here is how the Chandrayaan-3 Rover ramped down from the Lander to the Lunar surface. pic.twitter.com/nEU8s1At0W
— ISRO (@isro) August 25, 2023
इसरो ने चंद्रयान-3 के हेल्थ के बारे में अपडेट देते हुए ट्वीट किया, ‘सभी गतिविधियां निर्धारित समय पर हैं. सभी प्रणालियां सामान्य हैं. लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE आज चालू हो गए हैं. रोवर मोबिलिटी ऑपरेशन शुरू हो गया है. प्रोपल्शन मॉड्यूल पर शेप पेलोड रविवार को चालू किया गया था.’ अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने यह भी तस्वीरें जारी कीं कि कैसे ‘विक्रम लैंडर’ इमेजर कैमरे ने टचडाउन से ठीक पहले चंद्रमा की छवि खींची. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने ‘एक्स’ हैंडल से हाल ही में जारी किए गए वीडियो को साझा करते हुए लिखा ‘अद्भुत’.
Here is how the Lander Imager Camera captured the moon's image just prior to touchdown. pic.twitter.com/PseUAxAB6G
— ISRO (@isro) August 24, 2023
अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी छलांग में, भारत का चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त 2023 की शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. इसके साथ ही भारत 4 देशों के विशेष क्लब में शामिल हो गया, जिनके नाम चांद पर पहुंचने की उपलब्धि दर्ज है. साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफल लैंडिंग करने वाला वह दुनिया का पहला देश बन गया. भारत से पहले रूस (तत्कालीन सोवियत संघ), अमेरिका और चीन चंद्रमा पर पहुंच चुके थे, लेकिन इनमें से कोई उसकी दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में नहीं पहुंचा था.