पणजी: दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने अगले महीने होने वाले गोवा विधानसभा चुनावों (Goa Assembly Elections 2022) के लिए आज (रविवार, 16 जनवरी) पणजी में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का 13 सूत्री एजेंडा पेश किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ईमानदारी और बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड के ‘सबूत’ पेश किए हैं. केजरीवाल ने कहा कि इसका सर्टिफिकेट खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया जिनके आदेश से हमारे सहयोगियों के ठिकानों पर छापे पड़े लेकिन किसी घपले-घोटाले या गलत काम करने के सबूत नहीं मिल सके.
केजरीवाल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर सरकारी पदों को भरने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए अपनी प्रेस वार्ता शुरू की और कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो गोवा में “अवसर की समानता” सुनिश्चित करेगी.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के इस दावे पर गोवा के युवाओं ने सवाल उठाए हैं और उनकी चिंता जायज है क्योंकि चुनाव से पहले सभी कहेंगे… ‘हमारी पार्टी सबसे अच्छी है’.
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “दिल्ली में हमने इसे साबित कर दिखाया है. पीएम मोदी ने ही इसका सर्टिफिकेट दिया है, जिन्होंने मुझ पर और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआी और पुलिस के छापे मरवाए थे.. उन्होंने एक आयोग का भी गठन किया था. हमारी 400 फाइलों की जांच की गई लेकिन उन्हें एक भी गलती नहीं मिली…”
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, “तो… यह साबित करता है कि आप सबसे सजग और ईमानदार पार्टी है. अगर हमें गोवा में सरकार बनाने का मौका मिला तो मैं आपसे वादा करता हूं कि यहां एक ईमानदार सरकार होगी.”
केजरीवाल अकेले विपक्षी नेता नहीं हैं जिन्होंने दावा किया है कि सत्तारूढ़ भाजपा आलोचकों और प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों का उपयोग कर रही है.
आंकड़ों से पता चलता है कि उनके पास एक वाजिब सवाल है क्योंकि पिछले महीने एनडीटीवी ने पाया कि 2014 में प्रधान मंत्री मोदी की पार्टी के सत्ता में आने के बाद से भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा छापेमारी की कार्रवाई में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.
इन केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर 570 विपक्षी नेताओं (परिवार के सदस्यों सहित) और आलोचकों को निशाना बनाया गया है, जबकि भाजपा, या उसके सहयोगियों से जुड़े केवल 39 व्यक्तियों को ही इन एजेंसियों की जांच का सामना करना पड़ा है.