President Droupadi Murmu Withheld Assent West Bengal 3 Amendment Bills: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को जोर का झटका दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पश्चिम बंगाल विधानसभा की ओर से पारित 3 संशोधन बिलों को अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इन बिलों के जरिए राज्य के राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने का प्रस्ताव किया गया था। राज्य सरकार के पास ऐसे कुल 31 विश्वविद्यालय हैं जिसमें कलकत्ता यूनिवर्सिटी और जादवपुर यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
दरअसल पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और राज्यपाल के बीच राज्य की ओर से संचालित किए जा रहे विश्वविद्यालयों के प्रशासन को लेकर लगातार खींचतान चल रही थी। ममता बनर्जी सरकार ने साल 2022 में विधानसभा में इससे जुड़ा संशोधन बिल पास किया था, लेकिन राष्ट्रपति की ओर से इसकी मंजूरी नहीं दी है। अब राष्ट्रपति के बंगाल की ओर से भेजे गए बिल को मंजूरी नहीं देने को लेकर भी मामला तूल पकड़ सकता है।
पिछले साल अप्रैल 2024 में, राज्यपाल बोस ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल, 2022 (West Bengal University Laws (Amendment) Bill, 2022), आलिया विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2022, और पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2022 को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा था। पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल, 2022 के तहत पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को राज्य की 31 सरकारी यूनिवर्सिटी का चांसलर बनाया गया था। साथ ही, राज्य की मुख्यमंत्री (राज्यपाल की जगह) इन यूनिवर्सिटी के हेड होंगे, और यूनिवर्सिटी निकायों (जैसे कोर्ट या सीनेट) की बैठकों की अगुवाई करते।
पड़ताल के बाद केंद्र ने ठुकराया तीनों बिल
केंद्र के पास बिल भेजे जाने के बाद केंद्रीय स्तर पर इसकी पड़ताल की गई, जिसमें राष्ट्रपति मुर्मू ने बिलों को अपनी मंजूरी देने से मना कर दिया। अधिकारी का कहना है कि नए फैसले की वजह से राज्य सरकार की ओर से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों को अपने नियंत्रण में लेने वाला मुख्य अधिनियम, जिसमें यह व्यवस्था बनी हुई है कि “राज्यपाल, अपने पद के कारण, विश्वविद्यालय के चांसलर होंगे,” लागू रहेंगे। केंद्र स्तर पर जांच के बाद, राष्ट्रपति ने बिलों को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया।
बंगाल विधानसभा मे 2022 में पास किया था बिल
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 13 जून 2022 को इन सभी बिलों को पास किया था। इन बिलों में राज्य सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को लाने का प्रस्ताव था। बिल साल 2022 में सदन में पेश किया गया तब जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हुआ करते थे। लोक भवन के अधिकारी ने बताया, “इन बिलों में राज्य से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी दिए जाने का प्रस्ताव था। हालांकि राष्ट्रपति की ओर से इन बिलों को मंजूरी नहीं दी गई।

