नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस का हमला दो महीने से अधिक से जारी है। इस बीच फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) की सदस्यता लेने की बात कही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों ही देश मई में आधिकारिक तौर पर नाटो में सदस्यता लेने की बात करेंगे। इल्तलेहती अखबार के मुताबिक फिनलैंड और स्वीडन के नेता 16 मई के करीब मिलने की योजना बना रहे हैं और उसके बाद सार्वजनिक रूप से गठबंधन में शामिल होने के लिए आवेदन करने की अपनी योजना की घोषणा कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने के बाद से नॉर्डिक देशों ने नाटो के साथ सहयोग बढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश अपने रुख पर विचार कर रहे हैं और नाटो की सदस्यता चाहते हैं। फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो ने नाटो में शामिल को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब देने से इनकार कर दिया हालांकि उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि फिनलैंड और स्वीडन एक समान विकल्प के साथ चलें।
रूस ने नाटो की सदस्यता लेने की कोशिश करने पर यूक्रेन पर हमला किया था, साथ ही अपनी सीमा से लगते अन्य देशों को भी चेतावनी दी थी कि वो नाटो की सदस्यता लेने संबंधी विचार त्याग दे नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। रूस की चेतावनी देने के बाद भी फिनलैंड व स्वीडन नाटो का सदस्य बनने की कोशिश में लगे हैं। इन दोनों देशों की नाटो सदस्यता के लिए आवेदन करने पर पुतिन पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर वो नाटो की सदस्यता लेते हैं, तो रूस द्वारा बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के करीब परमाणु हथियार तैनात कर देगा।
फिनलैंड की 1300 किलोमीटर लंबी सीमा रूसी बॉर्डर से लगती है। रूस फिनलैंड को पहले भी चेतावनी जारी कर चुका है, लेकिन फिनलैंड कोशिश में है कि उसे नाटो की सदस्यता मिल जाए। अगर फिनलैंड सदस्यता के लिए आवेदन करता है, तो रूस किस तरह की रणनीति अपनाएगा, रूस इस पर गंभीर चिंतन कर रहा है। अगर फिनलैंड और स्वीडन को नाटो की सदस्यता मिल जाती है तो नाटो के सदस्य देशों की संख्या 32 हो जाएगी।