भारत की अध्यक्षता में हुई QUAD की बैठक, आतंकवाद के खिलाफ लिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली. दिल्ली में क्वाड (Quad) के विदेश मंत्रियों की बैठक से आतंकवाद (Terrorism) पर पाकिस्तान (Pakistan) और हिंद प्रशांत क्षेत्र पर चीन को बड़ा संदेश दिया गया है. आतंकवाद से निपटने के लिए क्वाड के चारों देशों ने वर्किंग ग्रुप के गठन का फैसला किया है. पाकिस्तान को साफ संदेश देते हुए आतंकवाद पर क्वाड देशों ने वर्किंग ग्रुप (Quad Nations Working Group) का गठन किया है जिसकी पहली बैठक इसी साल अमेरिका में होगी. बैठक में हर तरह के आतंकवाद की भर्त्सना के अलावा संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादियों को प्रतिबंधित करने के राजनीतिकरण के खिलाफ सहमति जताने और सभी देशों से इस मामले में पारदर्शी रुख अपनाने का आह्वान भी किया गया है.

क्वाड- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है. सभी चारों देश लोकतांत्रिक हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हित का समर्थन करते हैं. इस समूह का उद्देश्य ‘‘मुक्त, स्पष्ट और समृद्ध’’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना तथा उसका समर्थन करना है. समूह के विदेश मंत्रियों ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में नयी दिल्ली में आयोजित एक बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति की व्यापक समीक्षा की. इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, उनके जापानी समकक्ष योशिमाशा हयाशी और ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वॉन्ग शामिल हुए.

चीन का नाम लिए बिना सुनाई खरी खरी
चीन को हिंद प्रशांत क्षेत्र में साधने के लिए गठित क्वाड की बैठक से भी एक बार फिर दोहराया गया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में किसी भी एकतरफा बदलाव का विरोध किया जाएगा. हालांकि सार्वजनिक तौर पर चारों देश चीन का नाम नहीं लेते लेकिन फैसले के पीछे चीन का हिंद प्रशांत में आक्रामक व्यवहार मुख्य फोकस में होता है.

क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन पर भी चर्चा हुई. क्वाड देशों ने दोहराया कि परमाणु हथियार के इस्तेमाल और इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य होगी और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार शांति स्थापित पर जोर दिया जाना चाहिए.

चारों देशों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “हम इस बात से सहमत हैं कि नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी राज्यों की संप्रभुता, राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों में निहित है.”

बयान में कहा गया है, “हम अपने भागीदारों के परामर्श से और बहुपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”

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