पटना. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ‘मोदी सरनेम’ मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt) से राहत मिली है. दरअसल इस मामले में राहुल गांधी को पटना के निचली अदालत में चल रहे केस में 25 अप्रैल को होने वाली पेशी से छुटकारा मिल गया है. इस मामले में सुनवाई करते हुये पटना हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है. दरअसल राहुल गांधी पर मोदी सरनेम के मामले में सुशील मोदी (Sushil Modi) ने पटना में मुकदमा दायर किया था. राहुल गांधी को बुधवार को ही अदालत में पेश होना था, लेकिन वह नहीं पहुंचे. राहुल गांधी के वकील ने अदालत से 25 अप्रैल को हाजिर होने का समय मांगा था. इस पर कोर्ट ने रजामंदी दे दी.
हालांकि अब राहुल गांधी के वकील अंशुल ने बताया कि पटना हाईकोर्ट ने पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में चल रही न्यायिक प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है. ऐसे में अब राहुल गांधी 25 अप्रैल को पटना की निचली अदालत में पेश नहीं होंगे. हमलोगों ने अदालत में बताया कि सूरत कोर्ट से इस मामले में फैसला आ गया है. इसलिए इस मामले में निचली अदालत की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगाया जाए.
हाईकोर्ट में अब 16 मई को होगी अगली सुनवाई
राहुल गांधी के बयान के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए निचली अदालत में कल 25 अप्रैल को राहुल गांधी के पेशी से राहत देते हुए फिलहाल स्टे लगा दिया है और सुनवाई की अगली तारीख 16 मई तय की है. 16 मई को राहुल गांधी के मामले में एकबार फिर सुनवाई होगी. कांग्रेस नेता और वकील विरेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि हमलोगों ने इस मामले को क्वैश करने का आग्रह अदालत से किया है. फिलहाल राहुल गांधी को राहत मिली है अगली तारीख का इंतजार है.
जानें क्या है पूरा मामला?
बता दें भाजपा नेता सुशील मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाले बयान को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले में राहुल गांधी ने सरेंडर कर दिया था और बाद में उन्हें जमानत भी मिल गई थी. इसी मामले में गुजरात से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया. सूरत मेट्रोपोलिटन अदालत ने राहुल गांधी की ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?’’ टिप्पणी को लेकर उन्हें मानहानि का दोषी ठहराने के बाद 23 मार्च को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. राहुल को 24 मार्च को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. उन्होंने तीन अप्रैल को सत्र अदालत में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर की.