राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों के प्रमुख अंशों को शामिल किया जा सकता है। NCERT की उच्च स्तरीय सामाजिक विज्ञान समिति ने सिफारिश की है कि रामायण और महाभारत को इतिहास पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, समिति ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को भी पाठ्यपुस्कतकों में शामिल करने का सुझाव दिया है।
समिति के सुझावों में इतिहास के पाठ्यक्रम पर प्रमुख फोकस रहा। समिति ने इतिहास को 4 अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि इतिहास को शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।अभी तक इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं, इसमें प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक भारतीय इतिहास शामिल है। सभी कक्षाओं में इन तीनों ही कालों को पढ़ाया जाता है।
महाकाव्यों के बन सकते हैं अंश
समिति का कहना है कि इतिहास में शास्त्रीय काल के तहत रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाना चाहिए। समिति ने कहा कि छात्रों को ये पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था। छात्रों के पास इन महाकाव्यों के बारे में बुनियादी ज्ञान होना जरूरी है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो रामायण और महाभारत से जुड़े कुछ प्रमुख अंश किताबों में शामिल किए जा सकते हैं। समिति ने सिफारिश की है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल 1 या 2 जगह के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानकारी को भी शामिल करना चाहिए। इससे छात्रों को भारतीय नायकों और उनके संघर्षों के बारे में जानने का मौका मिलेगा। समिति ने ये भी सुझाव दिया है कि प्रस्तावना को सभी कक्षाओं की दीवारों पर स्थानीय भाषाओं में लिखा जाना चाहिए।