जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा लगातार वन्यजीवों के संरक्षण के दिशा में कार्य करने से दुर्लभ प्रजातियों का रहवास सुरक्षित हुआ है। हाल ही में राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाती माउस डियर की तस्वीर कैमरे में कैद हुई है। राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा स्थानीय युवाओं को पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में रोजगार उपलब्ध कराया गया है जिससे लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कर वन्यजीवों के रहवास का संरक्षण किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्रामीणों की संरक्षण में सहभागिता सुनिश्चित होने से वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
भारत में पाए जाने वाले हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह में से एक है। भारतीय माउस डियर (डवेमबीपवसं पदकपबं) रहवास विषेश रूप से घने झाड़ियों वालो नमी वाले जंगलों में होता है। माउस डियर में चूहे- सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है और बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है। माउस डियर के शर्मीले व्यवहार और रात्रिकालीन गतिविधि के कारण इनमें विशेष रिसर्च नहीं हुआ है। मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वनों में माउस डियर की उपस्थिति दर्ज हुई है। वनों में लगने वाली आग, बढ़ते हुए अतिक्रमण और शिकार के दबाव से भारतीय माउस डियर की आबादी को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में इन प्रजातियों को बचाने के प्रयास की आवश्यक्ता है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ऐसे वन्यजीव के लिए उपयुक्त रहवास होने से और राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा वन्यजीवों के संरक्षण हेतु लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के प्रयास एवं स्थानीय लोगो के सहभागिता से माउस डियर जैसे दुर्लभ प्रजातियों की वापसी देखी जाने से राज्य शासन की वन्यजीव संरक्षण का उद्देश साकार हो रहा है।