क्या होता है झंडा फहराना?
देश इस साल अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इसका मतलब है कि भारत को गणराज्य बने 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस खास मौके के लिए देशभर में जोरों-शोरों से तैयारियां की जा रही हैं। हर साल की तरह इस साल भी 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। झंडा फहराने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को पोल से ऊपर की तरफ बांधा जाता है और फिर राष्ट्रपति की रस्सी खींचकर झंडा फहराते हैं।
ध्वजारोहण में क्या होता है?
वहीं, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया जाता है, जो झंडा फहराने से काफी अलग होता है। 15 अगस्त के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। ध्वजारोहण झंडा फहराने से अलग होता है। इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर की तरफ खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है।
ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि जब हमारा देश गुलामी से आजाद हुआ था, तो उस समय अंग्रेजी सरकार का झंडा उतारकर हमारे राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया था। यही वजह है कि 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडे को ऊपर की तरफ चढ़ाया जाता है और फिर फहराते हैं।
गणतंत्र दिवस पर इसलिए राष्ट्रपति फहराते हैं तिरंगा?
अब दूसरा सवाल जो अक्सर लोगों के मन में आता है, वह है कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति और 15 अगस्त को प्रधानमंत्री क्यों झंडा फहराते हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब 15 अगस्त, 1947 में देश आजाद हुआ था, तो प्रधानमंत्री ही उस समय देश के मुखिया थे। इसलिए तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ध्वजारोहण किया था।
वहीं, गणतंत्र दिवस के मौके पर जब 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ, तो उस समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके थे और इसलिए वही देश के संवैधानिक प्रमुख थे। ऐसे में उन्होंने पहले गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया था। तब से लेकर आज तक यही परंपरा चली आ रही है।