नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है. सोमवार, 26 सितंबर को एक डॉलर की कीमत 81 रुपये 58 पैसे (Rupee Price Today) तक पहुंची गई. आज रुपया पिछले बंद 80.99 के मुकाबले 81.55 के स्तर पर खुला. यह शुक्रवार के बंद हुए भाव से 56 पैसे कमजोर था. 3 कारोबारी सत्रों में डॉलर के मुकाबले रुपया 1 रुपया 70 पैसे कमजोर हुआ है. डॉलर इंडेक्स 20 साल से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंचा गया है. रुपये में आई गिरावट से देश का आयात बिल बढ़ रहा है. इससे देश में महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है.
फिलहाल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा से ज्यादा है. वहीं, रुपये में गिरावट थामने को भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को डॉलर बेचने की भी चर्चा है. पिछले कारोबारी हफ्ते में भारतीय रुपया पहली बार 81 के स्तर को पार कर नए रिकॉर्ड निचले स्तर (81.24) को छू गया था. यह 23 सितंबर को 125 पैसे की गिरावट के साथ 80.99 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जबकि 16 सितंबर को यह 79.74 के स्तर पर बंद हुआ था.
महंगाई बढ़ने की आशंका
रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल और अन्य जिंसों का आयात महंगा हो जाएगा. इससे मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल और 50 फीसदी गैस आयात करता है. रुपये में कमजोरी का असर ईंधन की घरेलू कीमतों पर पड़ सकता है. खाद्य तेलों की भारतीय जरूरत भी आयात से ही पूरी होती है. मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता का कहना है कि रुपये में गिरावट से आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी. इसका भार अंतत: उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा. इक्रा रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दामों में कमी का महंगाई पर जो अनुकूल असर पड़ना था, वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा.
भारत का व्यापार घाटा अगस्त में 27.98 अरब डॉलर पर पहुंचा
अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1.89 अरब डॉलर रहा है. कच्चे तेल का आयात बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया. इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया.
क्या है केंद्रीय बैंक की रणनीति
भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रुपये में गिरावट होने देगा. इसमें कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, न कि घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से.
आरबीआई ने बेचे डॉलर
रुपये में गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक के पिछले सत्र यानी शुक्रवार को डॉलर बेचने की खबर है. 3 व्यापारियों ने रायटर को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को राज्य द्वारा संचालित बैंकों के माध्यम से डॉलर की बिक्री की. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट आने के बाद आरबीआई ने यह कदम उठाया है. निजी क्षेत्र के एक बैंक के एक व्यापारी ने कहा कि 81.20 के स्तर पर आरबीआई का हस्तक्षेप काफी आक्रामक था. 2 सरकारी बैंक व्यापारियों ने भी पुष्टि की कि आरबीआई ने डॉलर बेचे.