नई दिल्ली. देश-विदेश से आयात और निर्यात के लिए भारत को भुगतान डॉलर में करना होता है लेकिन आने वाले दिनों में यह तस्वीर बदल सकती है क्योंकि विदेशों में सीमापार व्यापार में रुपये को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक तैयारी में जुट गया है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक की दक्षिण एशियाई देशों से बात चल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) परीक्षण चरण में है और आरबीआई डिजिटल रुपये की पेशकश को लेकर बहुत ही सतर्कता तथा ध्यानपूर्वक आगे बढ़ रहा है.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों के लिए महंगाई पर काबू पाना प्रमुख नीतिगत प्राथमिकताओं में से एक है. थोक डिजिटल रुपये के लिये आरबीआई की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की पायलट परियोजना की सफल शुरुआत के बाद पिछले वर्ष एक दिसंबर को उसने खुदरा सीबीडीसी की पायलट परियोजना शुरू की थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए दास ने कहा कि 2022-23 के लिए वैश्विक व्यापार दृष्टिकोण के साथ, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्यापक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार से वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
महंगाई भारत समेत साउथ एशियाई देशों के लिए बड़ी चुनौती
दास ने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक के स्तर पर, सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है साझा लक्ष्यों और चुनौतियों पर एक दूसरे से सीख लेना. सीमा पार व्यापार में रुपये को बढ़ावा देना और सीबीडीसी जिसकी दिशा में आरबीआई ने पहले ही आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, इन क्षेत्रों में भी सहयोग को और बढ़ाया जा सकता है.’’ उन्होंने कोविड, मुद्रास्फीति, वित्तीय बाजार में सख्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए जो 6 नीतिगत प्राथमिकताएं बताईं.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘अनेक बाहरी झटकों से दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर मूल्य दबाव आया है. मुद्रास्फीति को सफलतापूर्वक कम करने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीति कार्रवाई, लक्षित आपूर्ति-पक्ष हस्तक्षेप, राजकोषीय व्यापार नीति और प्रशासनिक उपाय प्रमुख साधन बन गए हैं.’’ दास ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है.