इसके साथ ही पुलिस को ऐसे सार्वजनिक स्थान जैसे स्कूल, कॉलेज, बस स्टेंड, भीड़-भाड़ वाले स्थानों, बाजार या अन्य जगहों पर जहां महिलाओं की उपस्थिति बनी रहती है लगातार पुलिस के द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर असामाजिक तत्वों पर निगाह रखनी चाहिए. उन्होनें आगे कहा कि पुलिस अधिकारियों को इस बात पर भी गर्व महसूस करना चाहिए कि भगवान ने उनको बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए चुना है क्योंकि ईश्वर हर जगह उपस्थित नहीं रह सकता. इसलिए पुलिस के रूप में आम नागरिकों और कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए आपको एक अवसर दिया है. इस दायितत्व को पूरा करने के लिए आपको शासन ने वैधानिक अधिकार भी दिए हैं. उन अधिकारों का सदु पयोग करके महिलाओं में आत्म-विश्वास पैदा करना चाहिए. न की इन अधिकारों का दुरुपयोग करे. इसलिए पुलिस को जब भी कोई महिला फरियादी थाना आएं तो उसको अपनी मां, बहन या बेटी समझकर सहानुभूतिपूर्वक सुनना चाहिए जिससे उसको इस बात का विश्वास हो जाना चाहिए कि अब वो एक सुरक्षित जगह पर है .
इस पांच दिवसीय कार्यशाला में सभी पुलिस अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित कानूनी प्रावधानों में नवीनतम संशोधनों और वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रक्रियाओं से अवगत कराया जाएगा. साथ ही माननीय न्यायालयों द्वारा प्रसारित दिशा निर्देश के संबंध में भी बताया जाएगा. इस कार्यक्रम में अकादमी के पुलिस अधीक्षक जयंत वैष्णव, उप पुलिस अधीक्षक अजय शर्मा और रूपा खेस भी उपस्थित रहे.