राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ के स्लोगन के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. यह बात सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने मीडिया से चर्चा में कही.
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने राजनांदगांव प्रेस क्लब में मीडिया से रू-ब-रू हुए. इस दौरान उन्होंने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा आदिवासियों के हित पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सरकार में आदिवासी समाज के लोग शामिल होने के बाद भी वे सरकार के बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं, और आदिवासियों के हित की बात नहीं रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि समाज वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ता रहा है. इसी वजह से इस बार के विधानसभा चुनाव में 29 आरक्षित सीटों के अलावा हम अन्य ऐसे सीटों पर समाज के प्रत्याशी उतारेंगे, जहां आदिवासी समाज की बहुल्यता है. उन्होंने कहा कि आरक्षित सीटों के अलावा अगर अन्य सीटों पर कोई सामान्य वर्ग से भी हो तो उसे भी अपना प्रत्याशी बनाकर विधानसभा चुनाव में उतारेंगे.
प्रतिनिधि पूरी नहीं कर पाए उम्मीद
अरविंद नेताम ने कहा कि समाज के जनप्रतिनिधियों से जो उम्मीद थी, वह वे पूरी नहीं कर पाए और समाज की बात नहीं उठा पा रहे हैं. हमें सभी सरकारों ने मजबूर कर दिया, तब सर्व आदिवासी समाज विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने जा रहा है. वहीं उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर कहा कि धर्मांतरण के मामले में दोनों पार्टियों की सरकारें मिलकर कानून में बदलाव करें.
नक्सलवाद का कारण गरीबी-भूखमरी
नक्सलवाद के मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि नक्सलवाद का कारण गरीबी-भूखमरी है. गरीबी और भुखमरी होगी तो नक्सलवाद पैदा होगा. राजनीतिक विचारधारा को बंदूक की नोक पर खत्म नहीं किया जा सकता, अगर इसे जड़ से खत्म करना है तो नक्सल समस्याओं को लेकर जो पत्रकार लिखते हैं, उसके हिसाब से प्लानिंग करनी होगी. इन क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर दिमाग और पेट खाली है, तो नक्सलवाद भरेगा.
2001 में मिलना था 32 प्रतिशत आरक्षण
अरविंद नेताम ने कहा कि वर्ष 2001 में 32% आरक्षण मिलना था, जो नहीं मिला. परिसीमन में आदिवासियों का 5 आरक्षित सीट को हटा दिया गया, और पेसा कानून का नियम बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद बना. लेकिन उस नियम में ग्राम सभा का अधिकार खत्म कर दिया गया है. सर्व आदिवासी समाज द्वारा विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के हित को लेकर प्रत्याशी उतारने की तैयारी की जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर केंद्र और राज्य की सरकार को घेरने की भी तैयारी है.