नई दिल्ली. भारत में 12 चीतों (7 नर और 5 मादा) का दूसरा जत्था दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को पहुंचेगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इन सभी को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाया जाएगा. इससे पहले भारत में चीतों को बसाने के योजना के तहत पिछले साल सितंबर में नामीबिया से आठ चीते केएनपी में लाए गए थे. वन्यजीव महानिदेशक (डीजी) एसपी यादव ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क में लाए गए सभी चीतों ने अपने परिवेश को अच्छी तरह से अपनाया है.
उन्होंने कहा कि ‘सासा’ नाम के चीते को छोड़कर सभी चीते स्वस्थ हैं. एसपी यादव ने आगे कहा, इंडियन एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर ने देश में 12 चीतों को लाने के लिए आज सुबह हिंडन एयरबेस से दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरी. इंडियन एयरफोर्स इस कार्य के लिए कोई रकम नहीं ले रहा है. 18 फरवरी को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ा जाएगा.’
शनिवार सुबह ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे दक्षिण अफ्रीकी चीते
परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि सात नर और पांच मादा चीते भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा शुक्रवार शाम को शुरु करेंगे. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे और 30 मिनट बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी पहुंचाया जाएगा.
दोपहर 12 बजे कूनो राष्ट्रीय उद्यान पर उतरेंगे चीते
विशेषज्ञ ने कहा कि दोपहर 12 बजे केएनपी पर उतरने के बाद, उन्हें आधे घंटे के बाद क्वारंटाइन (बाड़ों) में रखा जाएगा. केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 बाड़े स्थापित किए हैं. इनमें से दो बाड़ों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हमने शनिवार को चीतों को प्राप्त करने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है.’
भारत हर चीते के लिए 3000 अमरीकी डॉलर का भुगतान करता है
विशेषज्ञों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल सितंबर की शुरुआत में केएनपी का दौरा किया था ताकि जमीन पर दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जानवरों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य में व्यवस्था देखी जा सके. इन चीतों के स्थानांतरण के लिए पिछले माह भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक करार हुआ था. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान किए हैं. भारत को प्रत्येक चीता को स्थानांतरित करने से पहले वहां पकड़ने के लिए 3000 अमरीकी डॉलर का भुगतान करना पड़ता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्म दिवस पर नामीबिया से केएनपी में आठ चीतों को छोड़ा था, लेकिन उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अनुमोदन के अभाव में इन 12 चीतों केएनपी नहीं लाया जा सका था. भारतीय वन्यजीव कानूनों के अनुसार, जानवरों को आयात करने से पहले एक महीने का क्वारंटाइन अनिवार्य है और देश में आने के बाद उन्हें अगले 30 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाना आवश्यक है. पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की थी.