राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में प्राचार्य डॉ.के.एल.दामले के मार्गदर्शन में वीरनारायण सिंह जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र सिंह ने वीरनारायण सिंह के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वीरनारायण छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया था। 1857 की क्रांति के समय छत्तीसगढ़ में भी अंग्रेजों के बहुत सारे भक्त थे, जो अंग्रेजों के इशारों पर जनता पर अत्याचार करते थे साथ ही जमाखोरी और युनाफाखोरी के द्वारा जनता पर अत्याचार करते थे। इसी 1857 में सैनिक विद्रोह के अलावा सोनाखान की भी घटना हुई थी। ब्रिटिश अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ के शांतिमय क्षेत्र में भी आंदोलन हुये थे। कृषकों की दयनीय स्थिति अकाल की विकरालता और वीरनारायण सिंह की मानवता को डिप्टी कमिशनर ने व्यापारी की रिर्पोट के आधार पर नारायण सिंह को गिरफ्तार करवाया था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.हिरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि वीरनारायण सिंह पर देशद्रोह का मुकद्मा चलाया गया और 10 दिसम्बर 1857 ई. को रायपुर के जयस्तम्भ चौक पर प्राणदण्ड दिया गया। आभार प्रदर्शन डॉ. अजय शर्मा द्वारा किया गया।