एनसीपी नेता नवाब मलिक को झटका,नहीं मिली जमानत

 

Maharashtra News: पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने इसी साल फरवरी के महीने में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था.

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत अर्जी पर बुधवार (30 नवंबर) को PMLA कोर्ट ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी है. जज ने आदेश में कहा कि कुर्ला के गोवावाला कंपाउंड की मालकिन मुनीरा प्लम्बर का बयान बेहद अहम है. ईडी (ED) ने नवाब मलिक को इसी साल 23 फरवरी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. तब से वो जुडिशल कस्टडी में हैं.

नवाब मलिक जुडिशल कस्टडी में हैं, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से फिलहाल मुंबई के कुर्ला के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. जहां वो काफी समय से एडमिट हैं. विशेष न्यायाधीश आर एन रोकडे ने 14 नवंबर को दोनों पक्षों की ओर से दी गई लंबी दलीलों को सुनने के बाद मलिक की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

नवाब मलिक ने याचिका में कही ये बात

अदालत ने पहले कहा था कि वह अपना आदेश 24 नवंबर को सुनाएगी. हालांकि, उस दिन अदालत ने यह कहते हुए मामले को 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया कि आदेश तैयार नहीं था. मलिक ने जुलाई में विशेष अदालत के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर की थी. एनसीपी नेता ने यह कहते हुए जमानत मांगी कि धन शोधन के लिए उन पर मुकदमा चलाने के लिए कोई आधार नहीं है.

ईडी ने किया था जमानत का विरोध

जांच एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दर्ज मामले को आधार मानते हुए जमानत का विरोध किया था. ईडी (ED) ने दावा किया कि आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसकी बहन हसीना पारकर के साथ काम कर रहा था और उसके निर्दोष होने का कोई सवाल ही नहीं है. नवाब मलिक (Nawab Malik) के खिलाफ ईडी का मामला एनआईए की ओर से दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर प्राथमिकी पर आधारित है.

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