नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए देश भर के उच्च न्यायालयों को आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से खुद ऐसे मामले दर्ज कर उनकी मॉनिटरिंग करने को कहा है. इसके लिए हाई कोर्ट स्पेशल बेंच भी बना सकते हैं.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में टाइमलाइन को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए जा सकते. लेकिन उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस अपने अधिकार क्षेत्र में चल रहे ऐसे केसों की पूरी निगरानी करें और उनके ट्रायल समय पर खत्म हों, ऐसा सुनिश्चित करें.
बेंच ने कहा कि यदि जरूरी हो तो स्पेशल बेंच समय-समय पर केस को लिस्ट कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाली स्पेशल बेंच का नेतृत्व खुद हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस को करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि किसी मामले में मौत या फिर उम्रकैद की सजा हो सकती हो तो उन्हें प्राथमिकता सुना जाना चाहिए.
चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट्स को उन मामलों की लिस्ट बनानी चाहिए, जिनका ट्रायल रुक गया है. ऐसे सभी मामलों में तेजी लानी चाहिए ताकि समय पर उनका निपटारा हो सके. अदालत ने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की अर्जी पर यह आदेश दिया, जिसमें मांग की गई थी कि अदालत मौजूदा एवं पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामलों में तेजी लाए.
5 हजार से ज्यादा मामले लंबित
अदालत में सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि देश भर में मौजूदा एवं पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ 5,175 केस लंबित हैं. इनमें से 2,116 यानी करीब 40 फीसदी केस ऐसे हैं, जो 5 साल से ज्यादा वक्त से लंबित हैं. इनमें सबसे ज्यादा 1377 केस तो उत्तर प्रदेश के ही हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 546 केस लंबित हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में 482 केस अभी लंबित हैं.