नई दिल्ली: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को राज्यों से सहकारिता क्षेत्र के समग्र विकास के लिये साथ मिलकर काम करने को कहा ताकि यह देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में उल्लेखनीय योगदान दे सके. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य सहकारिता मंत्रियों के दो दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि सहकारिता आंदोलन भारत के हर राज्य में समान गति से चले. गृह मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे शाह ने कहा कि उन राज्यों में जहां गतिविधियां रुक गई हैं या धीमी हुई हैं, उनमें तेजी लाने का प्रयास किये जाने चाहिए. इसके लिए हमें एक नई राष्ट्रीय सहकारी नीति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सहकारी क्षेत्र के चौतरफा विकास सुनिश्चित करने के साथ नये क्षेत्रों की पहचान करने के लिये नई नीति तैयार की जानी चाहिए.
शाह ने कहा कि कि सहकारी आंदोलन पश्चिम और दक्षिण भारत में मजबूत है लेकिन उत्तर और मध्य भारत में विकासशील अवस्था में जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में अल्पविकसित अवस्था में है. उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के सहकारिता विभागों को विकास के समान रास्ते पर चलना चाहिए और समान नीतियां अपनानी चाहिए. उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में सरकार ने एक नया राष्ट्रीय सहयोग नीति दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिये पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 47 सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की है. यह नीति दस्तावेज सहकारिता-आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देगा. सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए नई राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार की जा रही है. शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए सभी राज्यों को टीम इंडिया की भावना के साथ मिलकर काम करना होगा. हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि सौ साल में सहकारिता देश की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बने और देश की अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर तक ले जाने में प्रमुख भूमिका निभाये.
उन्होंने सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिये मंत्रालय की तरफ से उठाये गये कदमों का भी जिक्र किया.शाह ने कहा कि पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समिति) की संख्या तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख की जाएगी. इसके अलावा सहकारिता क्षेत्र का राष्ट्रीय ‘डाटाबेस’ तैयार किया जाएगा.मंत्री ने बीज उत्पादन के लिये कहा कि एक बहु-राज्यीय सहकारी समिति गठित की जाएगी जो अनुसंधान एवं विकास का काम करेगी.
हमारी मौजूदा किस्मों का संरक्षण करेगी और नई किस्में विकसित करेगी. इसके लिये हम चार-पांच बड़े सहकारी संस्थाओं को मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर बहु-राज्यीय सहकारी समिति बनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने और उन्हें भारत और विदेशी बाजारों में बेचने के लिये अमूल के नेतृत्व में एक बहु-राज्यीय सहकारी संस्थान स्थापित किया जाएगा.बीज और जैविक उत्पादों के लिये अगले दो महीनों में बहुराज्यीय सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी.