नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के बाद परिजनों को मिलने वाले मुआवजे की राशि के भुगतान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार लाई है. कोर्ट ने पूछा है कि पीड़ितों को अब तक भुगतान क्यों नहीं किया गया? जस्टिस संजीव खन्ना ने गुजरात सरकार को डांटते हुए कहा कि आपके यहां गंभीर किस्म का गड़बड़झाला है. आंकड़ा दस हजार मौत का है, लेकिन मुआवजे के लिए 91 हजार से ज्यादा लोगों ने दावा किया है. कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों में ऐसे हालात हैं. लेकिन इतना ज्यादा अंतर नहीं है. आपके यहां जरूर कोई बात है, जिसकी वजह से दस गुना अंतर दिख रहा है.
कोर्ट ने पंजाब की बात करते हुए कहा कि वहां मौत के आंकड़े के मुकाबले मुआवजे के लिए कम लोग सामने आए हैं. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि आखिर कोरोना से होने वाली मौत और मुआवजे के दावेदारों की संख्या में इस अंतर की वजह क्या है? इसका मतलब यह है कि बेहद गरीब और जरूरतमंद जनता को पता ही नहीं है कि मुआवजा भी मिल रहा है. पंजाब में मौत की संख्या 16567 बताई गई है. जबकि मुआवजा का दावा करने सिर्फ 8780 लोग ही आए. हिमाचल में तीन हजार मौत के मुकाबले सिर्फ 650 दावेदार आए, जबकि झारखंड मौत का आंकड़ा 5140 है और मुआवजे की अर्जी उनमें से सिर्फ 132 के परिजनों ने ही लगाई.
जस्टिस खन्ना ने कहा कि वैसे तो आधार कार्ड संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन नंबर से कनेक्ट रहता है. और मृत्यु प्रमाणपत्र आधार कार्ड से जुड़ा रहता है. जब आपके पास संबंधित व्यक्ति के आधार के जरिए फोन नंबर भी है. तो उस पर एसएमएस यानी शॉर्ट मैसेज भेज कर परिजनों को मुआवजा का क्लेम करने वाली स्कीम की जानकारी क्यों नहीं देते? राजस्थान ने बताया कि वहां सरकार ने इ कियोस्क का इंतजाम कर रखा है. उनके जरिए आम लोगों को मुआवजे की अर्जी दाखिल करने में मदद की जा रही है.