तिरुपति लड्डू विवाद में CM नायडू को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

SC Hearing On Tirupati laddu Controversy: तिरुपति लड्डू विवाद में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के सीएम चंद्रबाबू नायडू (CM Chandrababu Naidu) को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर दो महीने बाद बयान क्यों दिया। ईश्वर को तो राजनीति से दूर रखते। मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।

विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Temple) के लड्डू प्रसादम (Tirupati Laddu) में बीफ और सूअर की चर्बी को लेकर आज (सोमवार) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। स्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने तिरुपति लड्डू विवाद मामले पर सुनवाई की।

सुनवाई करते हुए दो जजों की बेंच ने आंध्र प्रदेश सरकार को फटकार गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। SIT रिपोर्ट आने से पहले ही प्रेस के पास क्यों गए? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री से कहा कि आप संवैधानिक पद पर हैं. आपको SIT के निष्कर्ष का इंतजार करना चाहिए था।

कार्ट में दायर की गई याचिकाओं में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। उनका दावा है कि तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया। इस बीच, राज्य सरकार की एक सोसायटी प्रसादम की गुणवत्ता और लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी की जांच करने के लिए तिरुपति में है। तिरुपति मंदिर बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ और आंध्र प्रदेश राज्य की तरफ से सीनियर एडवोकेट अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह उम्मीद की जाती है कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष की याचिका पर हुई सुनवाई

बता दें कि तिरुपति लड्डू विवाद में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच की मांग की है। वहीं तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज के अधीन स्वतंत्र जांच समिति (SIT) बनाकर इन आरोपों की जांच कराए जाने की मांग की है। वहीं राज्य सरकार ने याचिकाओं का विरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए कई सवाल

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा रिपोर्ट बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है. अगर आपने पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे, तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी?  रिपोर्ट जुलाई में आई, बयान सितंबर में आया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि  इस मामले में प्रेस क्यों गए. ⁠हम उम्मीद करते हैं कि ईश्वर को राजनीति से दूर रख जाए. ⁠रिपोर्ट साफ कहती है कि घी इस्तेमाल नहीं हुआ।

राज्य सरकार की तरफ से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में घी निजी विक्रेताओं से खरीदा जाने लगा है। गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आईं। हमने टेंडर देने वाले को कारण बताओ नोटिस दिया था. जस्टिस गवई ने पूछा कि क्या जो घी मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया, उसका इस्तेमाल प्रसाद के लिए किया गया था?

देवस्थानम के वकील लुथरा ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। जस्टिस गवई ने इसपर कहा कि फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. जबकि जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि इस बात का सबूत कहां है कि यही घी लड्डू बनाने में इस्तेमाल किया गया था। कितने ठेकेदार सप्लाई कर रहे थे. क्या मान्यता प्राप्त घी मिलाए गए हैं। कहीं भी यह स्पष्ट नहीं है कि इसे उपयोग किया गया था। यह परीक्षण किया गया है, और रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में है, लेकिन जांच अभी लंबित है।

सीएम नायडू ने खुद किया था सनसनी खेज खुलासा

बता दें कि 19 सितंबर 2024 को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने हिंदुओं के आस्था के सबसे बड़े केंद्रों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर के ‘लड्डू प्रसादम’ में जानवरों की चर्बी मिलाने के सनसनीखेज दावा किया था। सीएम नायडू ने पूर्ववर्ती YSRCP सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनलोगों के सरकार में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल होती थी। । सीएम नायडू ने पूर्ववर्ती YSRCP सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनलोगों के सरकार में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल होती थी। हमारे शासनकाल में अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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