रायपुर। बेमेतरा का दंगाग्रस्त बिरनपुर गांव दंगे से मिले जख्म को पीछे छोडक़र सम्हलते आगे कदम बढ़ा रहा है। पुलिस की कड़ी निगरानी में अब गांव के बाशिंदों को रोजमर्रा के कामकाज के लिए धीरे-धीरे छूट दी जा रही है। गांव को दंगामुक्त रखने के लिए सरकार ने अगले तीन महीने तक अस्थाई पुलिस चौकी की मंजूरी भी दी है। दंगे के करीब सप्ताहभर बाद गांव के लोगों को जरूरत के सामानों की खरीदी-बिक्री के लिए राहत दी जा रही है।
पुलिस सुरक्षा के बीच ग्रामीण अपने दैनिक उपयोग की चीजों की खरीदी करने के लिए घर से निकल रहे हैं। लगभग 50 से ज्यादा राजपत्रित पुलिस अधिकारियों, हजार जवानों और प्रशासन की अलग-अलग टीमें गांव के बाहर और अंदर तैनात है। पिछले दिनों हुए दो समुदायों के विवाद के बीच एक युवक की दंगे में जान चली गई थी। वहीं कुछ दिन बाद एक समुदाय के दो लोगों का शव लावारिश हालत में मिला था।
बिरनपुर से सटे गांवों को एहतियातन पुलिस की निगरानी में रखा गया। कवर्धा जिले की सीमा से लगे गांवों के मुख्य रास्तों में बेरिकेट्स लगाए गए। बिरनपुर गांव के चारो दिशाओं को सील करते हुए पुलिस ने टीन की चादर से अस्थाई दीवारें खड़ी कर दी है। कवर्धा के नजदीक के गांव बिरोड़ा, मोहगांव, बीजाबैरागी तथा जंगलपुर में बेरिकेट्स लगाकर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए। दंगे के कुछ दिनों बाद हालात अब सामान्य होते दिख रहा है। पुलिस ने पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया है। धीरे-धीरे गांव में दीगर क्षेत्र से आए लोगों को दाखिले की छूट मिली है। इसके लिए लोगों को पुलिस की सघन जांच पड़ताल से गुजरना पड़ रहा है।