तय समय में मकान नहीं बनाकर देना पड़ा बिल्डर को भारी, रेरा ने सुनाया बड़ा फैसला…

रायपुर। प्रकरण के अनुसार, बैकुंठपुर में रहने बाली श्यामवती पटेल ने चंद्रा टाउन भाठागांव में 32 लाख रुपए में 1395 वर्गफीट का प्लॉट खरीदा था. प्लॉट बेचते समय बिल्डर ने 990 वर्गफीट का सिंगल मकान बनाने का अनुबंध भी किया था, जिसके लिए उन्होंने नगर निगम से नक्शा भी पास करवा लिया था.

लेकिन श्यामवती को बिल्डर ने तय सीमा के भीतर मकान का पजेशन नहीं दिया. उन्होंने बिल्डर अनेकों बार मिलकर पजेशन मांगा. हर बाद उन्हें टाल दिया गया. अंत में बिल्डर ने यह तर्क दिया कि उन्होंने प्लॉट बेचने के लिए एग्रीमेंट किया था, उस पर मकान बनाकर देने का करार नहीं हुआ था.

आखिरकार पीड़िता ने रेरा की शरण ली. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद रेरा अध्यक्ष संजय शुक्ला ने फैसला दिया कि मकान निर्माण के लिए 32.43 लाख रुपए प्राप्त करने के बावजूद बिल्डर ने उन्हें मकान बनाकर नहीं दिया, जिससे अनुबंध की शर्त का उल्लंघन हुआ है. इसलिए प्रोजेक्ट के संचालक को श्यामवती को प्लॉट की मूल रकम 32.43 लाख रुपए के साथ ही जुलाई 2019 से जुलाई 2024 तक ब्याज 17.50 लाख रुपए कुल 50 लाख 2328 रुपए देने का आदेश दिया.

एसएमएस भेजकर प्लाटिंग करने वालों पर होगी सख्ती

नियमानुसार किसी भी तरह की प्लाटिंग के लिए सबसे पहले रेरा में पंजीयन कराना जरूरी है. अभी आचार संहिता खत्म होने के बाद लोगों को प्लॉट खरीदने के एसएमएस भेजे जा रहे हैं. जो नियमों के खिलाफ है. रेरा के पास भी ऐसे कई एसएमएस पहुंचे है. इस तरह के मोबाइल एमएमएस जिसमें संपर्क नंबर दिया गया है उनसे बुलाकर उनके बयान लिए जा रहे हैं. रेरा अफसरों ने साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी की जाएगी.

खाली प्लॉट पर 7 साल बाद भी मकान बनाकर नहीं देना बिल्डर को भारी पड़ा. खरीदार के शिकायत पर छत्तीसगढ़ रेरा ने बिल्डर के विरुद्ध अहम फैसला सुनाते हुए किश्तों में भुगतान किए गए 32 लाख के साथ 17 लाख ब्याज देने का आदेश दिया है. बिल्डर को छह माह के भीतर मूलधन और ब्याज की रकम लौटानी होगी.

 

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