एजुकेशन डेस्क। इस समय पूरा देश राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। यह दिवस हर साल 12 जनवरी को मनाया जाता है, जो कि भारतीय हिंदू साधू, धार्मिक शिक्षक, दर्शनशास्त्री, लेखक, भारतीय गुरू रामकृष्ण के मुख्य शिष्य स्वामी विवेकानंद की जयंती है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था और बचपन में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था। उनके द्वारा किए गए कार्यों और भारतीय दर्शन को वैश्विक पटल पर ले जाने वाले स्वामी विवेकानंद के जन्म-दिवस को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा के बाद से वर्ष 1984 से हर साल हम 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाते हैं।
स्वामी विवेकानंद का सिर्फ 39 वर्ष का जीवनकाल कई मायनों में आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि हर युवा राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकता है। ऐसे में युवाओं को अपने सामर्थ्य का उचित प्रयोग करना चाहिए। ऐसें युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद कहते थे, “अपनी आरामदायक (कंफर्ट जोन) से बाहर निकलो और अपने उद्देश्यों की प्राप्त के लिए प्रयास करके उसे प्राप्त करो उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
युवाओं के लिए शिक्षा के महत्व को समझते हुए स्वामी विवेकानंद कहते थे कि युवाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि युवा सिंह की भांति सभी समस्याओं से लड़ सकते हैं। इसलिए युवाओं को प्रेरित करते हुए वे कहते थे, “मेरे साहसी युवाओं, यह विश्वास रखो कि तुम ही सब कुछ हो – महान कार्य करने के लिए इस धरती पर आए हो। चाहे वज्र भी गिरे, तो भी निडर हो खड़े हो जाना और कार्य में लग जाना। साहसी बनो।”