आपकी ऑनलाइन शॉपिंग पर है सरकार की नजर! जानिए क्या है इसके पीछे का मकसद…

Online Shopping Tracking: आने वाले समय में अगर आप अमेज़न, फ्लिपकार्ट या किसी अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कोई सामान खरीदते हैं, तो यह आदत अब सिर्फ आपकी नहीं रहेगी. भारत सरकार आम लोगों की ऑनलाइन खरीदारी के ट्रेंड पर नजर रखने की तैयारी कर रही है. इस पहल का मकसद है — महंगाई दर (Inflation Rate) की गणना को और अधिक सटीक और यथार्थ बनाना.

दरअसल, ऑनलाइन शॉपिंग का चलन देश में तेजी से बढ़ा है, और यह केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहा. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को अपडेट करने के लिए डिजिटल खरीदारी की आदतों को शामिल करने का निर्णय लिया है.

क्या है योजना? (Online Shopping Tracking)

सरकार देश के 12 प्रमुख शहरों में लोगों की ऑनलाइन खरीदारी पर नजर रखेगी. इसका उद्देश्य यह समझना है कि लोग क्या खरीदते हैं, कितनी मात्रा में खरीदते हैं और किस आवृत्ति से खरीदते हैं.

इन 12 शहरों में शामिल हो सकते हैं: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़ और गुवाहाटी.

क्यों जरूरी है यह पहल? (Online Shopping Tracking)

अभी तक महंगाई दर की गणना पारंपरिक बाजारों से जुटाए गए डेटा के आधार पर होती है. लेकिन समय के साथ ई-कॉमर्स का प्रभाव इस गणना को अधूरा बना रहा है.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर मिलने वाले डिस्काउंट, सीमित समय की सेल और अलग-अलग प्राइसिंग पॉलिसी के कारण उपभोक्ता व्यवहार बदल गया है, जिसे महंगाई दर में शामिल करना जरूरी हो गया है.

सरकार चाहती है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्रोतों से कीमतों का तुलनात्मक और संतुलित आकलन हो, ताकि आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला असर सही ढंग से मापा जा सके.

क्या-क्या डेटा ट्रैक किया जाएगा? (Online Shopping Tracking)

सरकार ऑनलाइन खरीदारी से जुड़े निम्नलिखित पैटर्न्स पर ध्यान देगी:

  • किन उत्पाद श्रेणियों (जैसे खाद्य, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स) में सबसे ज्यादा खरीदारी हो रही है
  • किस वर्ग (उच्च, मध्य, निम्न आय वर्ग) की खरीदारी कितनी है
  • मौसमी, त्योहारी और फ्लैश सेल के दौरान खरीदारी में कैसा बदलाव आता है
  • शहरवार मांग और प्राइसिंग में अंतर

क्या आपकी निजता खतरे में है? (Online Shopping Tracking)

बिलकुल नहीं. सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच जो डेटा साझा होगा, उसमें कोई व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, मोबाइल नंबर, पता या पेमेंट डिटेल शामिल नहीं होंगे.

ट्रैकिंग केवल समेकित (एग्रिगेटेड) डेटा के आधार पर की जाएगी, जिससे यह पता चलेगा कि किस शहर में, किस श्रेणी का सामान कितना खरीदा जा रहा है और कितने में.

किन कंपनियों से मिलेगा डेटा? (Online Shopping Tracking)

सरकार इस पहल के लिए अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मीशो जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों से संपर्क में है. ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध उत्पादों की बिक्री, कीमतों और ग्राहक व्यवहार से जुड़ी जानकारी सरकार को उपलब्ध कराएंगी — पूरी तरह से डेटा प्राइवेसी नियमों के तहत.

इसका असर क्या होगा? (Online Shopping Tracking)

  • सटीक महंगाई दर की गणना: CPI डेटा पहले से ज्यादा वास्तविकता के करीब होगा, जिससे आर्थिक नीतियों में सुधार संभव होगा.
  • नीति निर्धारण में पारदर्शिता: सरकार को विभिन्न वर्गों की खरीदारी क्षमता का बेहतर विश्लेषण मिलेगा.
  • जनहित में निर्णय: सब्सिडी, टैक्स स्लैब और कीमत नियंत्रण जैसी योजनाएं आम लोगों की वास्तविक जरूरतों के अनुसार तय हो सकेंगी.

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