यूरोप में तेज हुआ मंकीपॉक्स का कहर, बेहद आसान भाषा में समझिए इस वायरस की पूरी जानकारी

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी देखी जा रही है। यूरोप में पहली बार रिकॉर्ड संख्या में केस दर्ज किए गए। अबतक यूरोप में 100 से ज्यादा मंकीपॉक्स मरीज मिल चुके हैं। इस वायरस को गंभीरता से लेते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक आपातकाल बैठक की। उस मीटिंग में कई बातों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस बात पर बहस हुई कि क्या मंकीपॉक्स को महामारी घोषित कर देना चाहिए।

यूरोप के इन देशों में मंकीपॉक्स के केस

यूरोप के बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीरदलैंड, स्पेन, स्वीड और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। इसके अलावा यूएस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी बढ़ते केस ने चिंता बढ़ा दी है। इन बढ़ते मामलों के बीच एक्सपर्ट का कहना है कि ये बीमारी महामारी नहीं बन पाएगी। ये कोरोना वायरस की तरह तेजी से नहीं फैलती है।

स्मालपॉक्स की वैक्सीन असरदार

बता दें यूरोपीयन देशों में मंकीपॉक्स का पहला केस 7 मई को सामने आया था। शख्स नाइजीरिया से आया था। मंकीपॉक्स के अधिकतर मामले अफ्रीकी देशों में पाए जा रहे हैं। वहां 2017 से मामले लगातार बढ़ रहे है। अब यूरोप भी इस रेस का हिस्सा बन गया है। रिसर्च के मुताबिक स्मालपॉक्स के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ असरदार है।

क्यों पड़ा मंकीपॉक्स नाम?

मंकीपॉक्स चेचक के समान दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में अध्ययन के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। मंकीपॉक्स से मनुष्य का पहला केस 1970 में दर्ज किया गया।

क्या है मंकीपॉक्स?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से फैलती है। यह वायरस पॉक्सवाइरीडी फैमिली (Family Poxviridae) के आर्थोपॉक्स वायरस जीनस (Orthopox Virus Genus) का सदस्य है। आमतौर पर मंकीपॉक्स का वायरस चूहों, बंदरों और अन्य रोडेंट जानवरों में होता है। हालांकि अब इसका संक्रमण मनुष्यों में भी फैलने लगा है। WHO के अनुसार जानवरों से इंसानों में बीमारी सेंट्रल अफ्रीका और वेस्ट अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन इलाकों में फैल रहा है।

मंकीपॉक्स के लक्षण?

मंकीपॉक्स के लक्षण स्मालपॉक्स से मिलते-जुलते हैं। जिन लोगों में मंकीपॉक्स का संक्रमण होता जाता है। उनमें बुखार, शरीर में चकत्ते, बदन दर्द, कमजोरी और अन्य लक्षण नजर आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संक्रमित मरीज की त्वचा फटने लगती है। एक से तीन दिन के अंदर बुखार आता है। चेहरे पर दाने उभरने लगते है। साथ ही जननांगों , मुंह और आंख भी प्रभावित होते हैं। मंकीपॉक्स का इंफेक्शन होने पर लगभग 6 से 12 दिनों तक सब लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ रोगियों में संक्रमण के 5 दिन बाद से लेकर 21 दिनों तक लक्षण नजर आते हैं।

भारत में मंकीपॉक्स की स्थिति

अभी तक भारत में एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। यह जरूरी है कि कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें। अगर किसी में इसके लक्षण नजर आएं, तो सबसे पहले खुद को आइसोलेट करें।

error: Content is protected !!