Weather Changing Mood: देश के तमाम इलाकों में मार्च के खत्म और अप्रैल के शुरू होते ही गर्मी का सितम देखने को मिला था. एक सप्ताह की चिलचिलाती गर्मी के बाद मौसम ने ऐसी करवट ली कि अब तक कूलर और एसी की जरूरत नहीं पड़ी है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक ऐसा ही मौसम आने वाले कुछ दिनों तक बना रहेगा. मौसम में ये बदलाव क्यों हो रहा है? क्या यह बदलाव आने वाली किसी बड़ी समस्या का संकेत तो नहीं. आइये आपको बताते हैं इस बदलते मौसम चक्र के बारे में सबकुछ.
फरवरी 2023 के पहले कुछ हफ्तों में गुजरात, राजस्थान, कोंकण, गोवा और तटीय कर्नाटक सहित भारत के कई हिस्सों में 35 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच अप्रत्याशित उच्च तापमान देखने को मिला. भारतीय मौसम विभाग ने फरवरी 2023 में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति, मैदानी इलाकों में शुष्क मौसम और पहाड़ियों पर कम बारिश और बर्फबारी को तापमान में अचानक वृद्धि और फिर मौसम में आए बदलाव को कारण बताया है.
गर्मी की शुरुआत यानी अप्रैल के पहले सप्ताह में आईएमडी ने कोंकण और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों के लिए हीटवेव अलर्ट जारी किया था. मौसम विभाग का यह अलर्ट कुछ ही दिनों के लिए था और फिर तापमान में गिरावट देखने को मिलने लगी. अधिकतम तापमान सामान्य से 4-9 डिग्री सेल्सियस से कम बना हुआ है.
आईएमडी ने बताय कि एक विरोधी चक्रवात ने फरवरी में उच्च तापमान को ट्रिगर किया. जबकि तापमान अधिक रहा है और इसमें घटने की प्रवृत्ति देखने को मिली है. भारत के मैदानी इलाकों में फरवरी में बारिश के कोई संकेत नहीं दिख रहे थे. इसके बाद मार्च 2023 में विपरीत मौसम की स्थिति देखने को मिली. पहली छमाही सामान्य से अधिक गर्म थी और दूसरी छमाही में पूरे भारत में मौसम की तीव्र गतिविधि देखी गई.
15 दिनों के लिए 75% की कमी के साथ सप्ताह की पहली छमाही बहुत शुष्क थी. हालांकि, महीने के दूसरे भाग में उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में असामान्य रूप से लंबे समय तक बारिश, आंधी, तेज हवाएं और ओलावृष्टि देखी गई. जिससे फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा. बेमौसम बारिश के पीछे लगातार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से प्रेरित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर चक्रवात विरोधी चक्रवात थे.
मौसम में यह बदलाव अल नीनो के कारण भी है. अल नीनो एक जलवायु संबंधी घटना है जो तब होती है जब मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होने लगता है. जो विश्व स्तर पर मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है. यह सामान्य महासागर और वायुमंडलीय परिसंचरण को बाधित कर सकता है. जिसके परिणामस्वरूप दुनिया के कई हिस्सों में असामान्य मौसम का पैटर्न बन सकता है.