बिलासपुर। चार साल के मासूम की हत्या के दोषी पंचराम उर्फ मन्नू गेंद्रे की फांसी की सजा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनाया। रायपुर के 7वें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पंचराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 364 और 302 के तहत दोषी मानते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। साथ ही, 5 साल की कैद और 500 रुपये का जुर्माना, 10 साल की कैद और 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी, जहां कोर्ट ने सुनवाई के बाद यह माना कि मामला “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” की श्रेणी में नहीं आता।
घटना 5 अप्रैल 2022 की है, जब रायपुर के उरला थाना क्षेत्र की रहने वाली पुष्पा चेतन ने अपने चार साल के बेटे हर्ष कुमार चेतन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि पड़ोसी पंचराम उसके दोनों बेटों दिव्यांश और हर्ष को घुमाने ले गया था। कुछ देर बाद उसने दिव्यांश को लौटा दिया, लेकिन हर्ष को अपने साथ ले गया। जब देर रात तक हर्ष घर नहीं लौटा, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। पुलिस ने पंचराम के मोबाइल लोकेशन को ट्रेस किया, जो नागपुर में मिली। 7 अप्रैल 2022 को पुलिस ने उसे नागपुर से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने हर्ष की हत्या कर शव को नेवनारा और अकोली खार के पास जला दिया। 8 अप्रैल को पुलिस ने पंचराम की निशानदेही पर बच्चे का अधजला शव बरामद किया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पंचराम का अपराध जघन्य है, लेकिन मृत्युदंड देने से पहले अदालत को आरोपी की उम्र, सुधार की संभावना और परिस्थितियों का संतुलन बनाना होता है। चूंकि दोषी की उम्र 35 वर्ष है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए अदालत ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सजा में कोई छूट या राहत नहीं दी जाएगी और दोषी को ताउम्र जेल में रहना होगा। यह फैसला मृत्युदंड के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए सिद्धांतों पर आधारित है, जहां कम उम्र और सुधार की संभावना को ध्यान में रखते हुए फांसी को उम्रकैद में बदला जाता है।
