गौ धन से संवर रहा आदिवासी महिलाओं का जीवन

 

दंतेवाड़ा। जिले में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से यहां गोबर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। आज गोधन न्याय योजना हितग्राहियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव का बड़ा ज़रिया बन गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य राज्य शासन द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना के परिणाम सामने आने लगे हैं। लोगों में पशुपालन के प्रति रूचि बढ़ने लगी है।

इस योजना से स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही किसानों में जैविक खेती का प्रचलन भी बढ़ रहा है। जिससे महिलाएं समूह द्वारा गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही हैं। जिले के 108 गोठानों में महिला समूहों ने 14203 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद एवं 6839 सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जा चुका है। इस प्रकार कुल 11289 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 6618 सुपर कम्पोस्ट खाद का विक्रय किया गया है। जिसमें 5558 हितग्राही लाभान्वित हुए है। जिले में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदी की जा रही गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाकर स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति न केवल मजबूत हो रही है बल्कि वे स्वावलंबी भी हो रही हैं। गोबर कभी ग्रामीणों के लिए इस प्रकार आमदनी का माध्यम बनेगा इसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ की इस गोधन न्याय योजना ने यह सच कर दिखाया है। योजना से पशुपालकों, किसानों और समूह की महिलाओं के लिए अतिरिक्त आमदनी के रास्ते खुलने लगे हैं। कुछ समय पहले तक यहां की आदिवासी महिलाएं खेतों में काम करती नजर आती थी। इसके बावजूद घर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी। लेकिन अब इन्हीं महिलाओं ने गाय के गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करने का माध्यम बना लिया है। इससे ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो रहा है। निश्चित रूप से यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उठाया जा रहा कारगर कदम है।

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