दिल्ली के महरौली में उस फ्लैट के मालिक ने अदालत में याचिका दायर की है, जहां तीन साल पहले आफताब पूनावाला ने अपनी लिवइन पार्टनर श्रद्धा वॉकर की हत्या कर उसके शव के टुकड़े किए थे. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें मकान मालिक ने दिल्ली पुलिस से अपने फ्लैट को मुक्त कराने का आदेश देने की मांग की है.
इस महीने की शुरुआत में साकेत कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीषा खुराना कक्कड़ की अदालत में प्रस्तुत एक आवेदन में मकान मालिक ने यह तर्क दिया है कि उसकी संपत्ति, महरौली के छतरपुर पहाड़ी में स्थित पहली मंजिल का फ्लैट, पुलिस के कब्जे से उसे वापस मिलना चाहिए. उनका कहना है कि मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है और ट्रायल अपने अंतिम चरण में है. उन्होंने यह भी बताया कि फ्लैट से संबंधित सभी भौतिक साक्ष्य और तस्वीरें पहले से ही केस रिकॉर्ड में शामिल हैं.
दिल्ली पुलिस ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि यदि फ्लैट का कब्जा मकान मालिक को वापस सौंपा जाता है, तो इससे अभियोजन पक्ष के मामले पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. पुलिस ने यह भी उल्लेख किया कि सीआरपीसी की धारा 310 के तहत अदालत को फ्लैट का स्थानीय निरीक्षण करने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे सबूतों को रिकॉर्ड करने से पहले परिस्थितियों का मूल्यांकन किया जा सके. यह धारा जज या मजिस्ट्रेट को किसी मामले की सुनवाई के दौरान उस स्थान का दौरा करने और निरीक्षण करने की अनुमति देती है, जहां कथित अपराध घटित हुआ था.
18 मई 2022 को, 28 वर्षीय प्रशिक्षित शेफ आफताब पूनावाला ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वॉकर की हत्या का आरोप लगाया गया. इसके बाद उसने वॉकर के शव को कई टुकड़ों में काटकर 300 लीटर के फ्रिज में कुछ दिनों तक रखा और फिर अगले 18 दिनों तक छतरपुर के जंगल में फेंकता रहा. 12 नवंबर, 2022 को दिल्ली पुलिस ने आफताब को गिरफ्तार किया, जब उसके बयान में असंगतियां पाई गईं. इस मामले के उजागर होने के बाद से छतरपुर का फ्लैट बंद पड़ा है और यह केस रिकॉर्ड का हिस्सा बन गया है.
मकान मालिक ने याचिका में उल्लेख किया है कि फ्लैट पिछले एक वर्ष से अधिक समय से पुलिस की हिरासत में है और इसकी मरम्मत की आवश्यकता है. फ्लैट के केस प्रॉपर्टी बनने के कारण उसे किराये की आय में नुकसान हो रहा है. आवेदन में बताया गया है कि उसने 16 मई 2022 को आरोपी आफताब पूनावाला और मृतक श्रद्धा वॉकर को फ्लैट किराए पर दिया था. घटना के बाद महरौली पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने जांच के उद्देश्य से फ्लैट को बंद कर दिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया.
आवेदन में उल्लेख किया गया है कि “मामले की सुनवाई समाप्त होने तक संपत्ति को अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रखना उचित और न्यायसंगत नहीं है. इसलिए, उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फ्लैट को शीघ्रता से मुक्त किया जाए.” दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद और मधुकर पांडे के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि गवाही का क्रम जारी है और कई गवाहों से पुनः पूछताछ की जा रही है. अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि सबूतों को सही तरीके से समझने के लिए जज द्वारा घटनास्थल का स्थानीय निरीक्षण आवश्यक हो सकता है.
पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस मामले में फ्लैट को मुक्त करने के लिए ऐसे अनुरोध को स्वीकार करना न केवल इस मुकदमे के वर्तमान चरण में अनुचित है, बल्कि यह अभियोजन पक्ष के मामले के लिए भी हानिकारक हो सकता है. अदालत ने इस आवेदन पर बहस के बाद मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को निर्धारित की है. वर्तमान में, अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं.