पश्चाताप और क्षमा से जो शांति मिलती हैएवह स्थाई होती है -जैन संत हर्षित मुनि

 

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि हर दिन की गलतियों के बारे में सोचे और उसका पश्चाताप करें। पश्चाताप और क्षमा से जो शांति मिलती है, वह स्थाई होती है। यदि आप चाहते हैं कि परिस्थितियां आपके अनुकूल हो तो पश्चाताप एवं क्षमा करना सीखें।

गौरव पथ  स्थित समता भवन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज अपने नियमित्त प्रवचन में कहा कि किसी भी कार्य को करने का संकल्प लें और 15 दिन तक उस संकल्प का पालन करें । कार्य पूरा होने पर आपको शांति महसूस होगी। आपमें परिवर्तन नजर आएगा। उन्होंने कहा कि उधार की गाड़ी में आपने सैर कर लिया तो आपको जो शांति महसूस होती है वह क्षणिक शांति होती है। अपने चित्त की शांति प्राप्त करने का प्रयास करें। चित्त की शांति स्थाई शांति होती है। उन्होंने कहा कि पुराने लोगों को सबकी चिंता होती थी। कोई व्यक्ति बाहर से आता था तो उसे वहां की स्थिति और कुशल क्षेम की जानकारी पुराने लोग लेते थे। वहां की खबर पूछते थे कि वह कैसा है? यहां तक कि पड़ोसी और घर के नौकर के स्वास्थ्य बारे में भी उससे जानकारी ली जाती थी। आज के वर्तमान युग में किसी को किसी के बारे में पूछने की फुर्सत ही नहीं है। आज के युग में व्यक्ति स्व केंद्रित नहीं हुआ बल्कि स्वार्थी हो गया है। पहले लोगों को किसी काम की जिम्मेदारी दी जाती थी तो फिर उस काम को देखना नहीं पड़ता था किंतु अब परिस्थितियां विपरीत है। आज जिम्मेदारी देने के बाद भी यह देखना पड़ता है कि वह काम हुआ है कि नहीं।

जैन संत ने कहा कि हम थोड़ी सी शांति के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं का अंबार लगा देते हैं किंतु यह शांति स्थाई नहीं होती। ऐसा करके हम अपने आपको वास्तविक शांति से दूर कर लेते हैं। वास्तविक शांति प्राप्त करनी है तो हमें चित्त की शांति प्राप्त करनी होगी। इसके लिए हमें प्रयास करना होगा और पश्चाताप तथा क्षमा हमें वास्तविक शांति दे सकती है। हम हर दिन की गलती के बारे में सोचें और उसका पश्चाताप करें तो हमारा चित्त शांत होगा और यह शांति स्थाई होगी।

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