दिल्ली: दिवाली, जो बिन दीयों के हमेशा अधूरी रहती है। कुम्हार की चाक जब चलती है तो मिट्टी को कई आकार देती है। इससे दीए, मंदिर, सजावटी सामान, देवी-देवताओं की मूर्तियों से लेकर आभूषण तक तैयार होते हैं। शायद ही ऐसा कोई भी त्योहार हो जो बिन कुम्हार के दीयों के पूरा हो सके, उसमें दिवाली तो है ही अंधेरे से रौशनी की ओर जाने का त्योहार। जब तम में फैला अंधकार घना हो जाता है तो कुम्हारों की चाक पर बने दीए ही उस अंधेरे को दूर करते हैं। इस साल इन कुम्हारों के चेहरे भी दीए की रौशनी की तरह ही चमक रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री के मंत्र स्वदेशी अपनाओं का फायदा कुम्हारों को भी मिल रहा है। तो आइए जानते हैं कि क्या कहते हैं विकास नगर कुम्हार कॉलोनी के कुम्हार और कुम्हारों ने दिवाली के दिन घर सजाने के लिए क्या खास तैयार किया है।
अमेरिका, आस्ट्रेलिया सहित कई एशियाई देशों से मिले ऑर्डर:
कुम्हारों का कहना है कि एशिया की दो सबसे बड़ी आधुनिक उपकरणों से लैस कुम्हार कॉलोनी होने की वजह से विकास नगर व बिंदापुर में काफी बड़े ऑर्डर आ रहे हैं। कुम्हार डायरेक्ट डील नहीं करते बल्कि कई बिचौलियों के माध्यम से भारतीयों की संख्या जिन देशों में ज्यादा है, वहां से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं। जिनमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया, सुमात्रा, बाली, इंडोनेशिया सहित कई देश शामिल हैं।
रिप्लेस हुए हैं चाइनीज दीए:
प्रधानमंत्री हमेशा अपने भाषणों में स्वदेशी अपनाने पर जोर देते हैं। कुम्हारों का कहना है कि उसका असर साफ राजधानी के बाजारों में भी देखने को मिल रहा है। कुछ सालों पहले तक भारतीय बाजारों में चाइनीज दीयों की भरमार रहती थी, जोकि एल्यूमिनियम में मोम भरकर तैयार किए जाते थे। लेकिन भारतीय दीयों ने इन चाइनीज दीयों को रिप्लेस कर दिया है। जिससे कुम्हारों के घरों की भी रोजी-रोटी सुरक्षित हो गई है।
ऑनलाइन कंपनियां भी महीनों पहले करती है संपर्क:
कुम्हारों ने बताया कि कोविड 19 के चलते साल 2020 के बाद तेजी से ऑनलाइन खरीदारी का प्रचलन बड़ा है। लोग घर बैठे ही अपनी पसंद की हर वस्तु खरीदना चाहते हैं। इसी तरह ऑनलाइन कंपनियों उनसे दिवाली से करीब एक-दो महीने पहले ही संपर्क कर लेती हैं और डिजाइन देखकर बताती हैं कि उन्हें किस डिजाइन के कितने पीस चाहिए। कुम्हार कॉलोनी में जो डिजाइनर दीए थोक में 70-80 रुपए में आधा दर्जन मिलते हैं, वहीं ऑनलाइन 100-150 रुपए पर बिक रहे हैं।