कोरोना काल में प्रचलित हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी और सुनवाई कुछ मामलों में सामान्य दिनों में भी जारी रह सकती है। सरकार और उच्च न्यायालय दोनों स्तरों पर सूचना प्रौद्योगिकी का फायदा उठाने की कवायद जारी है। अभी छत्तीसगढ़ की अदालतों में डॉक्टरों की गवाही के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी का प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी के बीच रविवार को इन विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई है। रायपुर के राज्य अतिथि गृह पहुना में यह बैठक हुई। बैठक में छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय सहित प्रदेश की निचली अदालतों में सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक प्रभावी उपयोग पर केंद्रित थी। इस दौरान ई-कोर्ट और ई-चालान प्रणाली की प्रगति पर भी बात हुई। मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के बीच अदालतों में डॉक्टरों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थिति सहित उच्च न्यायालय तथा छत्तीसगढ़ के न्यायालयों से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श हुआ है। बैठक में विधि एवं विधायी मंत्री मोहम्मद अकबर, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल संजय जायसवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू आदि मौजूद रहे।
डॉक्टरों की यह पुरानी मांग
बताया जा रहा है, विभिन्न आपराधिक मामलों में घावों का परीक्षण अथवा शव परीक्षण करने वाले डॉक्टरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। डॉक्टरों का तबादला होता रहता है। ऐसे में कभी-कभी ऐसी स्थिति आती है कि डॉक्टर दूर के जिले में पहुंच जाए। अगर वह न्यायालय पहुंचता है तो उसे ड्यूटी से छुट्टी लेनी होगी। ऐसे में उसका मुख्य काम प्रभावित होता है। मांग रही है कि यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो जाए तो कुछ घंटों ही काम का नुकसान होगा।
अभी काज लिस्ट और फैसले की कॉपी तक ही IT
छत्तीसगढ़ के न्यायालयों में अभी सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग दैनिक कॉज लिस्ट जारी करने और फैसले की कॉपी जारी करने तक ही है। इसके अलावा उच्च न्यायालय में केस की स्थिति की जानकारी भी उपलब्ध है। कोरोना काल में हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई भी की है। ई-कोर्ट लगाए गए। इससे लोगों को काफी फायदा महसूस हुआ है।