रायपुर. छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज प्रदेश की राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस अवसर पर राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी और छत्तीसगढ़ की जनता के नाम संबोधन दिया। राज्यपाल उइके ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और अमर शहीदों को नमन करते हुए सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि देश की आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के बाद अब हम गौरवशाली 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं और इसके अमृत महोत्सव की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणतंत्र की मजबूती ही जन-जन की सफलता है। यह दिन देश में अपना संविधान लागू करने, इस संविधान के अनुसार देश का संचालन करने और आम जनता को विधि सम्मत शक्तियां तथा अधिकार संपन्न बनाने का दिन है। जनता-जनार्दन के सहयोग से छत्तीसगढ़ में समृद्धि और खुशहाली का दौर आगे बढ़ता रहेगा। प्रदेश में नक्सलवादी गतिविधियां भी नियंत्रित हुईं हैं और नक्सलवादी, नक्सलवाद छोड़कर सामाजिक जीवन में लौटने लगे हैं। प्रदेश के सभी क्षेत्रों में विकास के लिए नई सोच के साथ काम किया गया, जिससे सीमित संसाधनों में भी श्रेष्ठता की दिशा में बढ़ना संभव हुआ है।
उइके ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जल-जंगल-जमीन और उससे जुड़े रोजगार के विषयों पर बहुत महत्वपूर्ण पहल करते हुए प्रदेशवासियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम बनाने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ किया है। छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र, प्रतिमा, उनकी महिमा को प्रतिपादित करता हुआ राज्य गीत, राजकीय गमछा, माटी पूजन तिहार आदि माध्यमों से सरकार ने अपनी माटी और मातृ-शक्ति का मान बढ़ाया है। ऐसे प्रयासों के कारण ही प्रदेश में धान की खरीदी विगत 5 वर्षों में 56 लाख 88 हजार मीटरिक टन से बढ़कर 98 लाख मीटरिक टन हो गई और अब 110 लाख मीटरिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।
राज्यपाल उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ धान ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार की फसलें लेने वाले किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू की गई, जिसके अंतर्गत विगत 3 वर्षों में 16 हजार 442 करोड़ रुपए, आदान सहायता के रूप में दिए गए हैं। ‘सिंचाई जल कर माफी’ के रूप में 324 करोड़ रुपए की राहत दी गई है। दिया गया ब्याजमुक्त कृषि ऋण भी विगत 5 वर्षों में 3 हजार 546 करोड़ रुपए से बढ़कर 5 हजार 885 करोड़ रुपए हो गया है। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के माध्यम से उन परिवारों को आर्थिक संबल दिया है जिन्हें अपने परंपरागत कार्यों से पूरे वर्ष रोजगार नहीं मिल पाता था। इस तरह 4 लाख 66 हजार से अधिक लोगों को उनके जीवन यापन के लिए लगभग 327 करोड़ रुपए की मदद की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रदेश में मिलेट को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की है, जिसके लिए हम कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
राज्यपाल उइके ने कहा कि ‘गोधन न्याय योजना’ एक अद्वितीय पहल सिद्ध हुई है, जिसका अनुसरण अब राष्ट्रीय स्तर पर भी हो रहा है। प्रदेश में इस योजना से 3 लाख से अधिक लोगों को सीधा लाभ मिल रहा है। गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और स्व-सहायता समूहों को अब तक 362 करोड़ रुपए से अधिक की आय हुई है। ‘सुराजी गांव योजना’ के अंतर्गत प्रदेश में नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी के संरक्षण और विकास के साथ इनको भी आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के कार्य बहुत बड़े पैमाने पर चल रहे हैं, जिनसे भूमि सुधार, जल संरक्षण, जैविक खेती, ग्रामोद्योग का विकास जैसे अनेक आयामों पर एक साथ प्रगति हो रही है। प्रदेश के 11 हजार 267 गांवों में गौठान निर्माण को स्वीकृति दी है। एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अब 300 से अधिक गौठानों को ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। गोबर से बिजली, पेंट व अन्य सामग्रियों का निर्माण शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में स्थानीय विशेषताओं के आधार पर रोजगार के साधन बढ़ाने हेतु प्रयास किए गए, जिसके कारण स्व-सहायता समूहों को भी नए सिरे से, नए काम के अवसर मिले। काजू, मिर्च-मसाले, फल-फूल, औषधीय गुणों से युक्त अनाज आदि की खेती, दूध, डेयरी, मछली पालन, पशुपालन जैसे कार्यों के प्रति नई चेतना का संचार हुआ है और ग्रामों में आर्थिक आत्म निर्भरता आ रही है। इसमें महिलाओं और युवाओं की बड़े पैमाने पर भागीदारी सुनिश्चित हुई है। उद्यानिकी फसलों के लिए 4 वर्षों में लगभग 2 लाख मीटरिक टन क्षमता के 39 शीतगृह स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में चाय -कॉफी के उत्पादन एवं गुणवत्ता बढाने के लिए टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। उद्यानिकी उत्पादों के विपणन हेतु सर्व सुविधायुक्त फल-सब्जी मंडी की स्थापना की शुरुआत धमधा से की गई है। गण्डई तथा कुम्हारी में फल-सब्जी मंडी की स्थापना का कार्य प्रगति पर है, जिसका विस्तार क्रमशः पूरे प्रदेश में किया जाएगा। इन प्रयासों से उद्यानिकी फसलों को अच्छा दाम मिलेगा। किसानों की सुविधाएं बढ़ाते हुए प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में विश्राम की व्यवस्था, जलपान, शौचालय, आदि की व्यवस्था की जा रही है, इस प्रकार 455 ‘किसान कुटीर’ बनाए जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने के लिए जगदलपुर, कांकेर एवं धमतरी में ‘सामुदायिक बीज बैंक’ की स्थापना की गई है।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों को न्याय दिलाने की शुरुआत, निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा, लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी, मुकदमा वापसी और तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक बढ़ाने के साथ की थी। वन अधिकार पत्रों की बात करें तो लगभग 55 हजार व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र देकर, वनवासियों की आशाओं को नया जीवन दिया गया है। विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को पर्यावास की सुविधा देने की शुरुआत धमतरी जिले से की गई है। वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु 13 हजार 586 ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति के साथ उपखंड एवं जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। वन अधिकार पत्रों के तहत आबंटित जमीन पर कृषि को प्रोत्साहित करने हेतु ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का लाभ दिया गया, जो आदिवासियों व परंपरागत वन निवासियों को कृषि कार्य हेतु प्रोत्साहित करने का एक सफल प्रयास भी साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि आदर्श छात्रावास योजना के तहत 243 छात्रावासों एवं आश्रम शाला भवनों का उन्नयन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 126 छात्रावास तथा आश्रम भवनों का निर्माण किया जा रहा है। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की संख्या 25 से बढ़ाकर 73 तथा सीट क्षमता 19 हजार 380 की गई है। शिष्यवृत्ति की राशि 850 रुपए से बढ़ाकर 1 हजार रुपए, छात्र भोजन सहाय की राशि 500 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए प्रतिमाह कर दी गई है। इसके अलावा राजीव युवा उत्थान योजना के अंतर्गत ट्रायबल यूथ हॉस्टल, राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना, पंडित जवाहर लाल नेहरू उत्कर्ष योजना, आर्यभट्ट विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण प्रोत्साहन योजना, शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय योजना आदि के माध्यम से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की नई पीढ़ी को शिक्षित करने के साथ ही रोजगार की नई संभावनाओं के लिए तैयार किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी परंपरा-संस्कृति और उनकी पहचान को निखारते हुए, आदिवासी समाज में उद्यमिता जगाने की दिशा में भी अनेक बड़े कदम उठाए हैं। देवगुड़ी तथा घोटुल के निर्माण व जीर्णोद्धार के लिये राशि उपलब्ध कराई गई है। परंपरागत रोजगार के साधनों को नई सुविधाओं का लाभ देने के लिए छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ रजक कार विकास बोर्ड जैसी संस्थाओं का गठन किया गया है। वन आश्रितों की आय बढ़ाने के उपाय किए हैं। पहले मात्र 7 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था थी, जिसे बढ़ाकर 65 किया गया। संख्या और दर में बढ़ोतरी की वजह से छत्तीसगढ़ सरकार, देश के कुल लघु वनोपज उपार्जन का 74 प्रतिशत एकत्रित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक तथा लघु वनोपज संग्रहण के जरिए विगत 4 वर्षों में 2 हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया जो कीर्तिमान है। इतना ही नहीं,’छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’,’संजीवनी केन्द्र’,’सी-मार्ट’ के विपणन नेटवर्क से वनोपज प्रोसेसिंग में भी औद्योगिक विकास की संभावनाएं उजागर हुई हैं। ‘चिराग परियोजना’ के माध्यम से 14 आदिवासी बहुल जिलों के 25 विकासखंडों में किसानों को सशक्त किया जा रहा है। त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के जरिए ग्रामीण विकास के कार्यों में तेजी लाई है जिसके फलस्वरूप ग्रामीण अधो- संरचना मजबूत हुई है। यही वजह है कि प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं को हर वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश पुरस्कार अनुसूचित क्षेत्रों के लिए मिले हैं। पेसा अधिनियम 1996 के प्रावधानों के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त एवं सुदृढ़ बनाते हुए राज्य में छत्तीसगढ़ पेसा नियम-2022 बनाया गया है।
राज्यपाल उइके ने कहा कि “सार्वभौम पी.डी.एस.” का सपना साकार करके दिखाया है। वर्तमान में इससे लाभान्वित हितग्राही सदस्यों की संख्या बढ़कर 2 करोड़ 61 लाख हो गई है। राशन कार्ड धारी परिवार अपनी सुविधानुसार छत्तीसगढ़ अथवा देश के किसी भी राज्य की उचित मूल्य दुकान से राशन सामग्री प्राप्त कर सकें, इसके लिए भारत सरकार की ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। शिशुओं और माताओं के प्रति सरकार ने विशेष प्रयास किया है। कौशल्या मातृत्व सहायता योजना, प्रदेश की अद्वितीय योजना है, जिसमें द्वितीय बालिका संतान के जन्म पर भी सहायता राशि का प्रावधान किया गया है। इसी तरह बाल सक्षम नीति, मिशन वात्सल्य, छत्तीसगढ़ बाल कोष, नवा बिहान, छत्तीसगढ़ महिला कोष, सक्षम योजना, सखी वन-स्टॉप सेंटर जैसी योजनाओं से नारी शक्ति को सहायता मिल रही है।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आयरन फोलिक एसिड युक्त चावल का वितरण, किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 64 लाख अन्त्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित एवं निःशक्तजन राशन कार्ड धारियों को निर्धारित मासिक पात्रता एवं अतिरिक्त पात्रता का चावल निःशुल्क वितरण किया जा रहा है, जिससे गरीब परिवारों की खाद्य सुरक्षा और मजबूत हुई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मेरी सरकार ने डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की है, साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को आम जनता तक पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं का तंत्र भी स्थापित किया है।
राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लीनिक,श्री धनवंतरी जेनरिक मेडिकल स्टोर योजना, हमर लैब जैसी योजनाओं से शहरों, गांवों, बसाहटों के 1 करोड़ 90 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से 2 लाख 65 हजार बच्चों को कुपोषण से तथा 1 लाख से अधिक महिलाओं को एनीमिया से मुक्ति दिलाई गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना की राशि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार कर दी गई है। वहीं मुख्यमंत्री नोनी-बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना भी शुरू की जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि गणतंत्र में जनता को अधिकार और सुविधाएं देने से ही उनका वास्तविक सशक्तीकरण होता है। मेरी सरकार ने जन सुविधाओं में विस्तार और वृद्धि के लिए अनेक उपाय किए हैं। ‘मुख्यमंत्री मितान योजना’ के तहत 14 नगर निगम क्षेत्रों में जनता को आवश्यक प्रमाण-पत्र, लायसेंस, आधार कार्ड, पेन कार्ड आदि उपलब्ध कराने के लिए घर पहुंच सेवाएं दी जा रही हैं। तुंहर सरकार तुंहर द्वार के अंतर्गत 368 परिवहन सुविधा केन्द्रों के माध्यम से परिवहन विभाग की सेवाओं हेतु ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। 16 लाख से अधिक लोगों को पंजीयन पुस्तिका तथा ड्राइविंग लायसेंस घर पहुंचाकर दिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के अभिव्यक्ति ऐप के माध्यम से महिलाएं घर बैठे शिकायत कर समाधान प्राप्त कर रही हैं। मोर बिजली ऐप से 61 लाख बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान कराया गया है। लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से 1 करोड़ 13 लाख आवेदनों का निराकरण किया गया है। राजस्व प्रकरणों के निराकरण, नामांतरण, गोधन न्याय योजना जैसे कार्यों के लिए भी ऑनलाइन प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ कैम्प पोर्टल, राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। सरकारी खरीदी प्रक्रिया अब इलेक्ट्रानिक माध्यम से हो रही है। इस तरह प्रशासनिक काम-काज में पारदर्शिता तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि विगत चार वर्षों में प्रदेश में 1 हजार 856 औद्योगिक इकाईयों की स्थापना हुई, जिनमें लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ और 34 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 186 एम.ओ.यू. किये गए हैं, जिनमें 93 हजार करोड़ रुपए से अधिक का पूंजी निवेश तथा 1 लाख 14 हजार लोगों को रोजगार मिलना प्रस्तावित है। किसानों एवं आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक सहायता, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध कराई है, जिससे लोगों का जीवन यापन आसान हुआ है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि बस्तर के नक्सलवाद प्रभावित अंचलों व दुर्गम क्षेत्रों में भी स्कूल खुले हैं, स्वामी आत्मानंद विद्यालय प्रारंभ किये गये हैं। हाफ बिजली बिल योजना से हुई बचत से लोगों की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति हुई है।