प्रेम का धागा ऐसा होता है, घाव किसी को होता है और दर्द किसी को – जैन संत हर्षित मुनि

 

जैन संत ने कहा धर्म सब की रक्षा करता है।

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। रत्नत्रय के माहान आराधक, परमागम रहस्यज्ञाता, परम पूज्य श्रीमद जैनाचार्य श्री रामलाल जी म.सा.के आज्ञानुवर्ती व्याख्यान वाचस्पति शासन दीपक श्री हर्षित मुनि ने कहा कि प्रेम का धागा ऐसा होता है कि घाव किसी को होता है और दर्द किसी और को। प्रेम की डोर व्यक्ति को एक दूसरे से बांधे रखती है।

समता भवन में आज अपने नियमित्त प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि प्रेम में बड़ी शक्ति होती है। धर्म के प्रति प्रेम करना सीखिए। धर्म सबकी रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि प्रेम और मोह में अंतर होता है। प्रेम हमें धर्म के मार्ग में ले जाता है। उन्होंने कहा कि जीव जब गर्भ में आता है तब माता.पिता का व्यवहार उस पर पड़ता है। माता का जैसे मन होता है वैसे ही प्रभाव जीव पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि कई बार हम ऊपरी धारणा बना लेते हैं किंतु वास्तविकता कुछ और होती हैए और जब वस्तुस्थिति का पता चलता हैए उस समय पछतावे के सिवा कुछ और नहीं बचता।

संत श्री ने फरमाया कि हम धर्म कर रहे हैं तो हमारी उस पर भक्ति कैसी है, धर्म के प्रति हमारा कितना प्रेम है, हमारा मन धर्म के प्रति कैसा है, यह सब हमारे ऊपर निर्भर रहता है। धर्म के प्रति हमारी भावना दृढ़ होनी चाहिए। धर्म हमारी सुरक्षा करता है किंतु वैसा आचरण हमारा भी होना चाहिए। हमारे भीतर का संस्कार दृढ़ होना चाहिए। हम लोग तंत्र.मंत्र के चक्कर में आ जाते हैं और श्रद्धा से डगमगा जाते हैं। धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा अटल होनी चाहिए। हमें अपने बच्चों के मन में श्रद्धा के दृढ़ भाव भरना चाहिए ताकि वे भी धर्म की राह पर निर्भय होकर चलें।

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