बिलासपुर। सिविल लाइन क्षेत्र में रहने वाले युवक ने किराए पर कार लेकर उसे दूसरे के पास बेच दिया। इधर, कार मालिक को किराया भी नहीं दिया। बाद में पता चला कि युवक ने कई लोगों के नाम पर कार और अन्य वाहन फाइनेंस कराए हैं। इसके बार कार का लोन जमा नहीं कर रहा है।
शिकायत पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर मामले को जांच में लिया है। कस्तूरबा नगर निवासी प्रफुल्ल मिश्रा ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। उन्होंने बताया कि मोहल्ले के आकाश श्रीवास्तव (32) ने उनसे कार किराए पर ली थी। शुरुआत के दो महीने तक उसने किराया दिया। इसके बाद उसने चेक दिया।
चेक को उन्होंने बैंक में जमा किया, तो वह बाउंस हो गया। पीड़ित ने इसकी जानकारी आकाश को देकर अपने रुपये मांगे। इस पर वह गोलमोल जवाब देने लगा। इसी बीच उन्हें पता चला कि आकाश ने कार को महासमुंद के सन्नी नाम के व्यक्ति के पास बेच दी है। यह भी जानकारी मिली कि उसने कई लोगों से कार किराए पर लेकर बेच दिया है या फिर गिरवी रख दी है।
लोन पर लेता था महंगी कार
प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि आरोपित ने होंडा सिटी, इनोवा क्रिस्टा और थार जैसे महंगी गाड़ियां दूसरों के नाम पर लोन लेकर खरीदी थी। इसके अलावा उसने ऑटो और दोपहिया भी दूसरों के नाम पर लोन लेकर अपने पास रखा था।
किश्त जमा नहीं होने पर फाइनेंस कंपनी के लोग पीड़ित पर दबाव बना रहे थे। शिकायत दर्ज होने के बाद ऐसे पीड़ित भी थाने पहुंचे हैं।
लोगों के नाम पर लिया है लोन
पीड़ित की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस की टीम ने युवक को हिरासत में लिया है। प्राथमिक पूछताछ में पता चला कि आरोपित युवक ने कई लोगों से कार किराए पर लिया है। इसके अलावा उसने लोगों को झांस देकर उनके नाम पर कार फाइनेंस करा लिया।
पीड़ितों को जानकारी हुई। तब पीड़ित उसके चक्कर काट रहे थे।
पीड़ितों की थाने में लगी रही भीड़
आरोपित आकाश ने करीब 12 लोगों के नाम पर लोन लेकर कार ली है और कुछ कारें किराए पर भी ली हैं। इसके साथ ही चार दोपहिया भी लोन पर लिए हैं। पूरे मामले की जानकारी होने पर पीड़ितों की भीड़ दिनभर थाने में जुटी रही।
इधर, पता चला है कि उसके द्वारा खरीदी गई कई कार और दोपहिया वाहनों को फाइनेंस कंपनी के लोगों ने सीज कर लिया है। इसकी भी पुलिस जानकारी जुटा रही है।
पीड़ित को ही आरोपित बनाने की कोशिश
तालापारा में रहने वाले एक युवक ने अपनी दो कार आकाश को दी थी। उसने कार को दूसरों के पास गिरवी रख दिया। इधर, आरोपित के खिलाफ जब शिकायत हुई, तो मामले को अलग रंग देने का प्रयास किया जाने लगा। कुछ लोगों ने पीड़ित को ही आरोपित बताकर उसके खिलाफ जुर्म दर्ज करने की मांग की।
इधर, पुलिस भी दबाव में आ गई। पुलिस ने पीड़ित को ही रात में थाने में बिठा लिया। उसे दूसरे दिन भी थाने में बिठाए रखा। इधर, पीड़ित अपने दस्तावेज भी जमा कर रहा था। इसे पुलिस ने लेने से इन्कार कर दिया। जांच में मामला स्पष्ट होने के बाद भी पुलिस ने उसे दिनभर थाने में बिठाए रखा।
