सोचिए कि 1 मार्च को आपकी ट्रेन 1 बजे की हो. आप सुबह जल्दी सोकर उठ गए और स्टेशन जाने की तैयारी करने लगे. सामान पैक कर घर से आप 11 बजे निकल गए जिससे ट्रेन पकड़ने के लिए आपके पास पर्याप्त वक्त हो. 1 बजते-बजते आप अपनी ट्रेन का इंतेजार करने लगें पर ट्रेन का कोई नाम-ओ-निशान ना लगे. तब आप स्टेशन पर पूछ-ताछ केंद्र से संपर्क करें और आपको पता चले कि आपकी ट्रेन पिछली रात 1 बजे थी न कि दिन में 1 बजे! इस स्थिति को आप काल्पनिक नहीं कह सकते क्योंकि हजारों लोग ऐसी स्थिति में पड़कर गलतियां कर देते हैं. इसकी जड़ है हमारा क्लॉक सिस्टम (Why 12 clock system in used) यानी घड़ी में इस्तेमाल किया जाने वाला सिस्टम.
भारत समेत दुनिया में अधिकतर जगहों पर 12 घंटे (Why clock have 12 numbers) का सिस्टम ही प्रमुख तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में आपने कभी न कभी ये तो जरूर सोचा होगा कि अगर दिन में 24 घंटे होते हैं तो घड़ी में 12 संख्याएं ही क्यों होती हैं, पूरी 24 संख्या रख देने से लोगों की काफी मुश्किलें सुलझ सकती हैं. दिन के 12 या रात के 12 के बीच लोग ऐसे उलझते हैं कि ट्रेन-फ्लाइट पकड़ने में उन्हें कठिनाई होती है. हालांकि, ऑनलाइन अब बहुत सी जगहों पर 24 घंटे का क्लॉक सिस्टम शुरू कर दिया गया है, ऐसे में टिकट पर कई 00, या 16 जैसे अंकों का इस्तेमाल कर 24 घंटे को दर्शाया जाता है, मगर दीवार पर लगने वाली घड़ी या हाथ की घड़ी पर अभी भी 12 अंक ही होते हैं.
प्राचीन सभ्यताओं से शुरू हुआ चलन
चलिए जानते हैं कि ऐसा करने के पीछे क्या कारण है. मीडियम वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार प्राचीन मेसोपोटामिया और मिस्र की प्राचीन सभ्यताओं से इसका कारण जुड़ा हुआ है. इन सभ्यताओं ने दिन को 2 साइकिल में बांट दिया था. दिन की साइकिल, जिसे सूर्य की चाल से मापा जाता था और रात की साइकिल जिसे चंद्रमा की चाल से मापा जाता था. यही कारण है कि आगे चलकर लोगों ने AM और PM के कंसेप्ट को बनाया था. मिस्त्र के लोग अपने सन डायल और वॉटर डायल में क्लॉक फेस 12 घंटे का रखते थे. वॉटर डायल पानी का इस्तेमाल कर के बनाई जाने वाली खास घड़ियां थीं जिससे सूर्यास्त के बाद का वक्त मापा जाता था.
मिस्र में 12 काउंटिंग सिस्टम का होता था इस्तेमाल
अब सवाल ये उठता है कि 12 संख्या ही क्यों इस्तेमाल होती है, 11 या 10 क्यों नहीं. प्राचीन लोगों ने पाया कि एक साल में 12 लूनर साइकिल होते हैं. इसके अलावा उस वक्त के लोग काउंटिंग के लिए 12 काउंटिंग सिस्टम का प्रयोग करते थे, पर आज 10 का प्रयोग किया जाता है. इसका कारण ये है कि हमारी 10 उंगलियां हैं, तो काउंट करने में आसानी होती है. मगर पहले के लोग उंगलियों के 12 डिब्बों को अंगूठे से काउंट किया करते थे ऐसे में उन्होंने 12 ही चुना.
तस्वीर में देखकर आप इस कंसेप्ट को समझ सकते हैं. 24 घंटे का सिस्टम इस्तेमाल करना ज्यादा आसान लगता है पर चूंकि 12 घंटे वाला सालों से इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए इसे बदला नहीं जा रहा है.