अगर आप भी चारधाम यात्रा जाने की सोच रहे हैं तो पहले यरे खबर जरूर पढ़ लें. चारधाम यात्रा में इस साल अब तक 101 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिसे देखते हुए सरकार अब सख्त हो गई है. नए नियम के तहत अब चारधाम यात्रा पर आने वाले 50 साल से अधिक उम्र के सभी यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जांच अनिवार्य हो गया है.
गौरतलब है कि इस पावन यात्रा के दौरान लगातार हो रही मौतों को देखते हुए सरकार को ये सख्त कदम उठाना पड़ा है. उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार इस साल अब तक 101 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिनमें 49 की मौत केदारनाथ धाम, 20 की बद्रीनाथ धाम, 25 की मौत यमुनोत्री धाम और 7 यात्रियों की गंगोत्री धाम में हुई है. इस पवित्र यात्रा के दौरान पहले भी कई मौतें हुई हैं, जिनमें 2019 में 90 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी., जबकि 2018 में 102 यात्रियों की मौत हुई थी.
श्रद्धालुओं को जांच कराना अनिवार्य
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक शैलजा भट्ट ने जानकरी दी है कि अब चारधाम यात्रा के लिए नए नियम बनाए गए हैं. इसके तहत 50 साल या इससे ऊपर के श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य कर दिया गया है.
इसके अलावा, रुद्रप्रयाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीके शुक्ला ने बताया कि अगर कोई यात्री अनफिट पाए जाएंगे तो उनसे वापस लौटने के लिए कहा जाएगा. अगर कोई यात्री वापस जाने के लिए तैयार नहीं होता है तो उसे एक सहमति पत्र लेकर ही आगे यात्रा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी. उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी केसी चौहान के अनुसार, 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के यात्रियों की चिकित्सा जांच शुरू कर दी गई है.
कहां-कहां होगी जांच?
आपको बता दें कि यह जांच बारकोट, जन की छत्ती और यमुनौत्री में की जा रही है. इनके अलावा हिना और गंगोत्री में भी स्वास्थ्य जांच की जा रही है.
जानिए क्या है मौत की वजह?
आपको बता दें कि हर साल चारधाम यात्रा के तहत श्रद्धालुओं की मौत हो रही है. केदारनाथ में नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के हेड प्रदीप भारद्वाज ने बताया, ‘ज्यादातर मौतें श्रद्धालुओ की कमजोर इम्यूनिटी, पहले कोरोना का होना और खराब मौसम और ज्यादा श्रद्धालु आने के कारण रहने-ठहरने के अपर्याप्त इंतजामों की वजह से हो रही है.
प्रदीप भारद्वाज के अनुसार, मैदानी इलाकों से आने वाले लोग हिमालय के ठंडे मौसम के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं यानी एडजस्ट नहीं हो पाते हैं, ऐसे में उनकी तबियत बिगड़ जाती है. इन श्रद्धालुओं को ऊंचाई और ठंड से होने परेशानी होती है. कई यात्री ऐसे भी हैं जो पर्याप्त गर्म कपड़े भी नहीं ला रहे हैं इस्लिओये उन्हें हाइपोथर्मिया हो रहा है.