ISRO Chandrayaan 3 Launch Today Latest Updates: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तीसरे चंद्र मिशन यानी ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. आज शुक्रवार की दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरने का इंतजार अभी बाकी है. चंद्रयान-3 अभियान, ‘मून मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. अगर इस बार चंद्रयान -3 मिशन कामयाब होता है तो भारत ये सफलता हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा.
‘रॉकेट वुमेन’ को मिली कमान
चंद्रयान-3 की लैंडिंग की अहम जिम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल को सौंपी गई है. ‘रॉकेट वुमेन’ के नाम से मशहूर ऋतु करिधाल चंद्रयान 3 की मिशन डायरेक्टर के रूप में अपनी भूमिका निभा रही हैं. यूपी के लखनऊ की मूल निवाली ऋतु साइंस वर्ल्ड में भारतीय महिलाओं बढ़ती ताकत की मिसाल हैं. मंगलयान मिशन में अपनी काबिलियत का दम दिखा चुकीं ऋतु आज अपनी प्रोफाइल में चन्द्रयान-3 के साथ कामयाबी की एक और उड़ान अपने नाम दर्ज करेंगीं.
उपलब्धियों से भरा करियर
ऋतु करिधाल ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में एमएससी की है. स्पेस साइंस में दिलचस्पी की वजह से उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में दाखिला लिया. कोर्स पूरा होने के बाद ISRO में नौकरी की शुरुआत की. एयरोस्पेस में विशेषज्ञता हासिल करने वाली ऋतु का करियर शानदार उपलब्धियों से भरा है. 2007 में उन्हें यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड मिल चुका है. अलग-अलग मिशन में उनकी भूमिका को लेकर देश के प्रमुख अंतरिक्ष विज्ञानियों में उनका नाम शामिल है. गौरतलब है कि ऋतु मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ की बेटी ऋतु उस समय सुर्खियों में आईं थीं, जब चन्द्रयान-मिशन 2 में उन्होंने मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली थी.
पूर्व वैज्ञानिक का दावा
भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘चंद्रयान-3’ से पहले इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने बृहस्पतिवार को कहा कि इसकी सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा और इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी.