राजनांदगांव। दहेज हत्या के एक मामले में तीन दिवस पूर्व फैसला सुनाने के बाद एक अन्य दहेज हत्या के मामले में आज को फैसला सुनाते हुए माननीय अपर सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रेक कोर्ट, राजनांदगाँव पीठासीन न्यायाधीश श्री अभिषेक शर्मा द्वारा आरोप साबित होने पर नवविवाहिता के पति जितेन्द्र कुमार पिता सरवन कुमार, उम्र 22 वर्ष, जेठ संजय कुमार पिता सरवन कुमार, उम्र 30 वर्ष, जेठानी श्रीमती गीता पति संजय कुमार महार, उम्र 30 वर्ष सास राजकुमारी पति सरवन कुमार, उम्र 47 वर्ष एवं ससुर सरवन कुमार पिता स्व. परदेशी राम महार, उम्र 52 वर्ष सभी निवासी ग्राम भटगुना, थाना डोंगरगांव, जिला राजनांदगाँव (छ.ग.) को भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत् 01-01 वर्ष का सश्रम करावास एवं 1000-1000 रूपये अर्थदंड, अर्थदंड की राशि अदा न करने पर 01-01 माह का अतिरिक्त सश्रम करावास तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ख के तहत् 10-10 वर्ष के सश्रम करावास की सजा से दंडित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया। न्यायालय के समक्ष मामले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव, अतिरिक्त लोक अभियोजक, फास्ट ट्रेक कोर्ट, राजनांदगाँव ने पैरवी की।
मामला इस प्रकार है कि मृतिका संगीता बाई निवासी ग्राम धुपसाल, थाना छुरिया, जिला राजनांदगांव (छ.ग.) का विवाह मृतिका के मृत्यु के दो वर्ष पूर्व सामजिक रीति-रिवाज के साथ अभियुक्त जितेन्द्र कुमार महार पिता सरवन कुमार महार निवासी भटगुना के साथ सम्पन्न हुआ था विवाह के बाद मृतिका अपने ससुराल में रहती थी, जहां उसके सास, ससुर जेठ, जेठानी और पति उसे मायके से दहेज कम लाने तथा दहेज में मोटर सायकल एवं एक लाख रूपये लाने की बात कहकर निरन्तर प्रताड़ित करते थे। अपने ससुराल वालों के प्रताड़ना से तंग आकर मृतिका संगीता बाई 21 सितंबर 2016 को अपने ऊपर मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली, जिससे उसकी मौत हो गई।
घटना की रिपोर्ट मृतिका के ससुर सरवन कुमार द्वारा थाना डोंगरगांव में की गई थी, जिस पर थाना डोंगरगांव द्वारा मर्ग कायम कर जांच कार्यवाही प्रारंभ की गई। मृतिका के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। जांच के दौरान मृतिका को नवविवाहिता होना एवं ससुराल पक्ष के सदस्यों द्वारा मृत्यु पूर्व मायके से दहेज की मांग करने और इसी कारण से मृतिका की मृत्यु होना पाये जाने से थाना डोंगरगांव में भारतीय दण्ड विधान की धारा 498-ए. 304 बी के तहत् एफआईआर दर्ज कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। दौरान विवेचना के आरोपीगणों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया तथा संपूर्ण विवेचना उपरान्त अभियोग पत्र विचारण हेतु न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।