सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में NEET परीक्षा में हुई धोखाधड़ी की जांच के लिए SIT गठन की मांग की गई है. याचिका में परीक्षा रद्द करने और पेपर लीक की जांच पूरी होने तक काउंसलिंग पर रोक लगाने का मांग की गई है. इस मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की अवकाश पीठ सुनवाई करेगी. 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आधार पर परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. लेकिन शीर्ष अदालत ने रिजल्ट पर रोक लगाने से इनकार किया था. रिजल्ट आने के बाद याचिका दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ग्रेस मार्क्स देना NTA की तरफ से कुछ विद्यार्थियों को बैकडोर से एंट्री देना सही नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने मुख्य रूप से परीक्षा के दौरान देरी के कारण कुछ छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स को चुनौती दी है और NEET-UG में प्रवेश के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने और नतीजे वापस लेने की मांग उठाई है. याचिका में कहा गया है कि ग्रेस अंक देना मनमाना था और कई छात्रों ने 720 में से 718 और 719 अंक प्राप्त किए हैं. जो कि करना सांख्यिकीय रूप से संभव नहीं है.
SIT जांच की मांग
इसके अलावा इसमें ये भी सवाल उठाया गया है कि एक केंद्र के 67 स्टूडेंट्स को पूरे 720 अंक कैसे मिल गए? याचिका में कथित रूप से पेपर लीक की जांच पूरी होने तक NEET-UG 2024 प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग उठाई है. साथ ही SIT के गठन की भी मांग की गई है.
क्यों मचा है बवाल
बता दें कि चारों तरफ से NEET यूजी की परीक्षा फिर से कराने की मांग की जा रही है. आरोप लगाया गया है कि 6 परीक्षा केंद्रों पर वक्त जाया होने की भरपाई के लिए दिए गए कृपांक (ग्रेस मार्क) के कारण अंक बढ़ गए हैं जिससे अन्य अभ्यर्थियों के अवसर प्रभावित हुए हैं. ये केंद्र मेघालय, हरियाणा के बहादुरगढ़, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और बालोद, गुजरात के सूरत और चंडीगढ़ में हैं. मेडिकल प्रवेश परीक्षा का परिणाम 4 जून को घोषित किया गया था. उसके बाद से अभ्यर्थी अनियमितताओं सहित कई आरोप लगाते हुए नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं. परीक्षा में 67 अभ्यार्थियों ने पहला स्थान प्राप्त किया था, जिनमें से 6 हरियाणा के एक ही केंद्र से थे. इस वर्ष परीक्षा के लिए रिकॉर्ड 24 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था.