नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में किसान टमाटर की फसल नदी में बहाने को मजबूर हैं. किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. मुनाफा तो दूर किसान लागत निकालने में ही परेशान हो गए हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश सर्वाधिक टमाटर उत्पादन करने वाले राज्यों में से एक है. ये टमाटर की फसल का ही सीजन और इस बार वहां पैदावार बहुत अच्छी हो गई है. इससे मंडी में टमाटर की आवक अचानक से बढ़ गई है, जबकि खरीदार ज्यादा नहीं है. किसानों को एक कैरेट टमाटर के लिए 20-30 रुपये मिल रहे हैं. इसका मतलब है कि हर किलोग्राम टमाटर के लिए किसान को बस 1 रुपये या उससे भी कम मिल पा रहा है.
ऐसे में किसानों का मुनाफा कमाना लगभग नामुमकिन हो गया है. कई किसानों का कहना है कि वे इससे फसल की तुड़ाई का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं. मध्यप्रदेश के मोहखेड़ में एक किसान ने अपनी फसल नदी में बहा दी है. खबरों के अनुसार, कमलेश नाम के इस किसान का कहना है कि फसल को तैयार करने में उसके एक लाख रुपये लगे थे, लेकिन अब वह केवल इससे 30,000 रुपये ही निकाल पा रहा है. उसका कहना है कि खेत से मंडी ले जाना का खर्च भी वह नहीं उठा सकता है. इसलिए वह फसल को बहा रहा है.
मंडी में फसल छोड़ जा रहे किसान
कारोबारियों का कहना है कि किसानों को सही दाम नहीं मिल रहा है, इसके चलते वे मंडी में ही फसल को छोड़कर जा रहे हैं. खुदरा बाजार में टमाटर अभी भी 10 रुपये प्रति किलोग्राम ही बिक रहा है. जबकि कुछ किसानों को हर किलोग्राम के लिए केवल 90 पैसे भी पेशकश की गई है. उधर, हॉर्टिकल्चर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एम.एल. उइके का कहना है कि दिसंबर और जनवरी में टमाटर की आवक बढ़ जाती है, इसलिए इसके दाम भी गिर जाते हैं. उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे टमाटर से सॉस, केचअप या उसे सुखाकर खटाई बनाएं और उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमाएं. हालांकि, इन उत्पादों को बनाने में भी पैसा खर्च होगा. इसके बाद इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि उनके द्वारा बनाया गया कैचअप या सॉस बजार में खरीदा जाएगा. ऐसे में किसानों पर डबल नुकसान भुगतने का भी खतरा है.