राजनांदगांव। जिले के वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के जंगल में सैलानी वन्यजीवों के स्वतंत्र रूप से विचरण करने का आनंद उठा रहे हैं। लगभग 387.500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जंगल में पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के साथ ही वन्य जीवों का बेहतरीन संरक्षण किया गया है। हरियाली, पर्यावरण, जैव-विविधता और वन्यप्राणियों से भरपूर जिले के मूल्यवान धरोहर मनगटा जंगल में चीतल, हिरण का प्राकृतिक अधिवास है। प्राकृतिक छटा से भरपूर इस अद्भुत स्थल में जंगली सुअर, अजगर एवं मयूर पक्षी एवं अन्य जीव-जन्तु भी यहां पाये जाते हैं। वन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। जंगल सफारी में वन्यजीवों तथा प्रकृति की नैसर्गिक मोहक छटा मन को उल्लास से भर देती है। इस धरोहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से पर्यावरण का संरक्षण करने के साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिला है। मनगट्टा व आसपास के गांवों जैसे झूराडबरी, बघेरा, परसबोड़, बिहावबोड़, मुढ़ीपार और भेंदरवानी के ग्रामीणों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के व्यापक अवसर मिले है। मनगटा वन चेतना केन्द्र सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक अनोखी मिसाल है।
वन मंडल राजनांदगांव के राजनांदगांव परिक्षेत्र अंतर्गत वन प्रबंधन समिति मनगट्टा स्थित है, जिसे चारों ओर खदानों से घिरे आरक्षित वन क्षेत्र कक्ष क्रमांक 548 एवं 549 को संरक्षित कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 1998 से ही समिति के सक्रिय योगदान के वजह से यह वन क्षेत्र वनों की अवैध कटाई से पूर्णत: सुरक्षित रहा। जिससे यहां वन्य प्राणी जैसे चीतल, जंगली सूअर, खरगोश एवं अन्य जीव पूर्णत: सुरक्षित रहे। यह वन क्षेत्र वन्य प्राणियों से भरापूरा था एवं राजनांदगांव एवं दुर्ग से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर था। इसलिये इस छोटे से वन क्षेत्र को वन प्रबंधन समिति के प्रयासों से वन विभाग द्वारा ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया। इस छोटे से वन खण्ड की सीमाएं किसी जंगल से नहीं लगती है। तीन तरफ से इसकी सीमाएं बड़ी-बड़ी जीवित गिट्टी खदानों को छूती है। इसके समीप से ही मुबंई-हावड़ा रेल लाईन गुजरती है। समीपस्थ रेल्वे स्टेशन मुढ़ीपार 3 किलोमीटर दूरी पर है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 ग्रेट ईस्टर्न रोड पर दुर्ग एवं राजनांदगांव के माध्यम दुर्ग की ओर से ग्राम टेड़ेसरा से नवागांव होते हुए वन चेतना केन्द्र मनगट्टा की दूरी 22 किलोमीटर है।
वन चेतना केन्द्र मनगट्टा दुर्ग और राजनांदगांव के बीच में प्राकृतिक स्थल होने के कारण यहां शुरूआत से ही पर्यटकों का बहुत ज्यादा आवागमन रहा है। वर्तमान समय में यहां बहुत से निजी होटल एवं रेस्टोरेन्ट खुल चुके है। जिससे स्थानीय लोगों के आय में बढ़ोतरी हुई है और लोगों को रोजगार मिल रहा है। वन चेतना केन्द्र मनगट्टा के निर्माण का वन एवं वन्य प्राणियों तथा स्थानीय ग्रामीणों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आधारभूत कार्यों के निर्माण से स्थानीय रोजगार सृजन के साथ-साथ वन एवं वन्य प्राणियों को सुरक्षा तो हो ही रही है। साथ ही साथ वन चेतना केन्द्र मनगट्टा ईको-पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। जिससे स्थानीय निवासियों एवं वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को आय हो रही है।