Delhi Election में बदला प्रचार का ट्रेंड: Facebook, YouTube और X पर विज्ञापन, जानें AAP-BJP और कांग्रेस में कौन आगे ?

Delhi Election 2025 Campaign on Social Media: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए करीब एक सप्ताह बचा हैं। इसे देखते हुए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दिल्ली चुनाव में प्रचार का ट्रेंड बदल गया है। राजनीतिक पार्टियां गली-गली जनसंपर्क के साथ सोशल मीडिया के जरिए भी प्रचार कर रही है। दिल्ली की तीनों प्रमुख सियासी दलों ने फेसबुक, एक्स और यूट्यूब समेत सोशल मीडिया पर प्रचार करने के लिए 519 विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति मांगी है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे है। आइए जानते है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस कितने पीछे है…

23 जनवरी तक 519 विज्ञापन प्रसारित करने की मांगी अनुमति

आज के दौर में हर हाथ में मोबाइल है। ऐसे में सोशल मीडिया जनता तक संदेश पहुंचाना बहुत आसान हो गया है। राजनीतिक दल फोन यूजर्स की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। चुनावों में प्रचार प्रसार के लिए गली गली तो पसीना बहा ही रहे है, साथ ही साथ सोशल मीडिया मंच से प्रचार करने पर भी जोर दे रहे है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी यही हाल है। तीनों प्रमुख सियासी पार्टियों ने फेसबुक, एक्स और यूट्यूब समेत सोशल मीडिया मंचों पर 519 विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति मांगी है।

350 विज्ञापनों को मंजूरी, BJP सबसे आगे

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से जांच करने के बाद 350 विज्ञापनों को प्रसारित करने की मंजूरी दी गई है। जबकि तथ्य मानकों के अनुरूप नहीं होने के कारण 166 विज्ञापनों को अस्वीकृत किया गया है। भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया पर विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति लेने में सबसे आगे है। बीजेपी ने 49 प्रार्थना पत्र देकर 293 विज्ञापनों की अनुमति मांगी थी।

AAP और कांग्रेस पीछे

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से गठित मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) ने जांच के बाद 207 विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति दी है, जबकि 86 अस्वीकृत कर दिए हैं। आम आदमी पार्टी ने 28 प्रार्थना पत्र देकर 200 विज्ञापनों को प्रसारित करने की अनुमति मांगी थी। जांच के बाद 121 विज्ञापनों को स्वीकृति मिली है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने 9 प्रार्थना पत्र भेजकर 24 विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति मांगी थी। इनमें से 22 विज्ञापनों को मंजूरी दी गई है, जबकि दो विज्ञापन मानकों के अनुरूप नहीं होने की वजह से अस्वीकृत कर दिए गए। यह आंकड़े 23 जनवरी 2025 तक के है।

जानें किन मापदंडों पर तथ्यों को परखा जाता है?

सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार करने के लिए ‘विज्ञापन’ बनाने समय कई नियमों का पालन करना जरूरी है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक, इन विज्ञापनों में सेना की वर्दी और लोगो का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राष्ट्रपति से संबंधित कोई बयान नहीं दिया जा सकता है। देश की अखंडता को प्रभावित करने वाले चित्र या बयान नहीं दिए जा सकते हैं। जो विज्ञापन इन मापदंडों पर खरा नहीं उतरे, उन्हें स्वीकृति नहीं मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!