भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते (indus water agreement) को निलंबित कर दिया है. इस निर्णय का अभी तक सिंधु नदी के पाकिस्तान की ओर जल प्रवाह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप विवाद उत्पन्न हो गया है. पाकिस्तान सरकार ने सिंधु नदी पर छह नई नहरों के निर्माण का प्रस्ताव रखा है, जो पंजाब प्रांत में बनेंगी. इस परियोजना के कारण सिंध प्रांत में असंतोष बढ़ गया है, क्योंकि वहां के लोग मानते हैं कि यह कदम सरकार द्वारा भेदभाव को बढ़ावा देने का एक प्रयास है. पहले से ही सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में पंजाब-केंद्रित नीतियों के खिलाफ असंतोष की स्थिति बनी हुई है.
सिंध में नहरों के निर्माण परियोजना के खिलाफ लोगों का गुस्सा इतना बढ़ गया है कि मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने राज्य के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के निवास को आग के हवाले कर दिया. यह घटना नौशहरो फिरोज जिले में हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने न केवल उनके घर को जलाया, बल्कि अंदर रखी वस्तुओं को भी नष्ट कर दिया और बाहर खड़े वाहनों को भी आग लगा दी. पाकिस्तान सरकार की योजना है कि सिंध नदी पर छह नहरें बनाई जाएं, जिससे चोलिस्तान में सिंचाई की व्यवस्था को मजबूत किया जा सके. इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के बीच भी तनाव बढ़ रहा है.
चीन के एक मित्र ने बताया है कि वह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक बांध के निर्माण को शीघ्रता से पूरा करने की योजना बना रहा है. यह बांध स्वात नदी पर मोहमंद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए बनाया जा रहा है. चाइना एनर्जी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, जो एक सरकारी कंपनी है, 2019 से इस प्रोजेक्ट पर कार्यरत है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को अगले वर्ष पूरा किया जाना था, लेकिन पाकिस्तान में पानी की कमी के कारण, वह चीन के साथ मिलकर इस कार्य को तेजी से आगे बढ़ा रहा है. मोहमंद बांध का उद्देश्य बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना है.
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि चोलिस्तान रेगिस्तान में सिंचाई के लिए छह नई नहरों का निर्माण किया जाएगा, जिससे सिंधु नदी के पानी का उपयोग किया जा सकेगा. हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और अन्य सिंधी राजनीतिक दल इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, चोलिस्तान नहर प्रणाली के माध्यम से चार लाख एकड़ भूमि की सिंचाई संभव होगी. दूसरी ओर, सिंध प्रांत में यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि इससे पानी की कमी उत्पन्न होगी, और स्थानीय लोगों का आरोप है कि उनके हिस्से का पानी पंजाब को दिया जा रहा है, जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते. इस मुद्दे के खिलाफ हाल के दिनों में आंदोलन तेज हो गया है, जिसके चलते सिंध में हाईवे भी जाम किए गए हैं.
भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया. इस समझौते के अनुसार, पाकिस्तान को सिंधु और उसकी सहायक नदियों, झेलम और चेनाब का पानी मिलता था, जबकि भारत को पूर्वी रावी, सतलज और व्यास नदियों के जल पर अधिकार था. झेलम और चेनाब नदियां भारत से होकर पाकिस्तान जाती हैं, और समझौते के निलंबन के कारण पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न हो गया है.
पाकिस्तान सिंधु जल समझौते के रद्द होने से चिंतित है और उसने यह स्पष्ट किया है कि पानी उसके लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित है, जो 24 करोड़ लोगों की जीवनरेखा के रूप में कार्य करता है.
भारत ने पिछले महीने हुए हमले के प्रति प्रतिक्रिया स्वरूप सिंधु नदी के जल प्रवाह को बढ़ाने पर विचार करना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर चल रहे बांध परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया है.
अगर बाढ़ आई तो और टूट जाएगी पाकिस्तान की कमर
सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद, पाकिस्तान लगातार यह शिकायत कर रहा है कि भारत द्वारा अचानक पानी छोड़ने के कारण वहां बाढ़ आ रही है. भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है. यदि नदियों में अत्यधिक पानी छोड़ा जाता है, तो इससे पाकिस्तान के प्रांतों में बाढ़ आ सकती है, जो उसकी कृषि को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी. 2022 में पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ ने किसानों की फसलें बर्बाद कर दी थीं, और वे अभी तक उस संकट से उबर नहीं पाए हैं. यदि फिर से बाढ़ आती है, तो यह पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए और अधिक कठिनाइयाँ पैदा कर सकती है.