राजनांदगांव। न्यू पंचशील कल्याण समिति एवं माता रमाई महिला मंडल द्वारा संजय नगर लखोली में मनाई गई माता रमाई जयंती समिति के अध्यक्ष संतोष बौद्ध ने कहा कि माता रमाई का जन्म 7 फरवरी 1898 मे रमाबाई का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता भिकु धुत्रे (वलंगकर) व माता रुक्मिणी इनके साथ रमाबाई दाभोल के पास वंणदगांव में नदीकिनारे महारपुरा बस्ती में रहती थी। उन्हेॅ ३ बहिणें व एक भाई – शंकर था। रमाबाई की बडी बहन दापोली में रहती थी। भिकु दाभोल बंदर में मछलिओं से भरी हुई टोपलिया बाजार में पोहचाते थे। उन्हें छाती का दर्द था। रमा के बचपन में ही उनकी माता का बिमारी से निधन हुआ था। माता के जाने से बच्ची रमा के मन पर आघात हुआ। छोटी बहण गौरा और भाई शंकर तब बहूत ही छोटे थे। कुछ दिन बाद उनके पिता भिकु का भी निधन हुआ। आगे वलंगकर चाचा और गोविंदपुरकर मामा इन सब बच्चों को लेकर मुंबई में चले गये और वहां भायखला चाळ में रहने लगे।
सुभेदार रामजी आंबेडकर यह अपने पुत्र भीमराव आंबेडकर के लिए वधू की तलाश कर रहे थे। वहां उन्हे रमाबाई का पता चला, वे रमा को देखने गये। रमा उन्हें पसंद आई और उन्होंने रमा के साथ अपने पुत्र भीमराव की शादी कराने का फैसला कर लिखा। विवाह के लिए तारिख सुनिश्चित कि गई और अप्रैल १९०६ में रमाबाई का विवाह भीमराव आंबेडकर से सपन्न हुआ। विवाह के समय रमा की आयु महज ९ वर्ष एवं भीमराव की आयु १४ वर्ष थी और वे ५ वी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे। आज इस जयंती के अवसर पर महिलाओं को उनसे प्रेरणा लेना चाहिए और उनके संघर्ष को हमेशा याद किया जाएगा।
कार्यक्रम में उपस्थित समिति सदस्य जयकुमार टेभेकर,, कुंदा टेभेकर,, अंबिका बौद्ध,, संतकला भौतिक, अंजना भाई मेश्राम,, कुसुमलता टेभेकर,, मीनाक्षी साखरे,, शशि गजभिए,, वंशिका,, आंचल, जीविका ,, उक्त जानकारी समिति के अध्यक्ष संतोष बौद्ध ने दी।