नई दिल्ली. देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू (UCC) करने की बढ़ती सुगबुगाहट के बीच कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल मंगलवार शाम गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. इस दौरान विधि सचिव भी मीटिंग में मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में यूसीसी को लेकर अहम चर्चा हुई.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही भोपाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत की थी. इस दौरान उन्होंने सवाल किया कि ‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’ और कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है.
पीएम मोदी ने उठाया समान नागरिक कानूनों का सवाल
प्रधानमंत्री ने यहां कहा , ‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा. फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है.’
उन्होंने कहा, ‘ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं. अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में (काम) कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते.’
विधि आयोग ने सभी पक्षों से मांगी राय
समान नागरिक संहिता को लेकर पीएम मोदी का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि विधि आयोग ने इसी महीने के मध्य में समान नागरिक संहिता को लेकर आम लोगों तथा मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित किए हैं. विधि आयोग ने 14 जून को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में एक महीने के भीतर सभी से इस पर राय मांगी है, जो वे ईमेल या एक लिंक के जरिये ऑनलाइन भेज सकते हैं.
विधि आयोग की इस नोटिस को खासा अहम माना जा रहा है, क्योंकि सूत्रों का कहना है कि कॉमन सिविल कोड 2024 के आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार का एक प्रमुख एजेंडा हो सकता है. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की धाराओं को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ यह तीसरे बड़े कदम के रूप में बीजेपी के चुनाव अभियान का अहम हिस्सा बन सकता है.
बता दें कि समान नागरिक संहिता में विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे लोगों के निजी मामलों के लिए एक समान कानून को संदर्भित किया जाता है. वर्तमान में, अलग-अलग धर्मों के अनुयायियों के लिए इन मामलों में कई अलग तरह के कानून लागू होते हैं. इन्हीं व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करने के मकसद से यूसीसी की परिकल्पना की गई है.