उत्तर प्रदेश चुनाव: मैदान की बजाय ‘कागजों में ही उतरे’ प्रदेश कांग्रसियों ने ही चुनाव खत्म होने से पहले ही उठाये सवाल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने बड़े-बड़े नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया था। योजना थी कि यह बड़े-बड़े चेहरे जमीन पर उतर कर लोगों के बीच जाएंगे और कांग्रेस की नीतियों से जनता को वाकिफ कराएंगे। अब चुनाव खत्म हो चुके हैं। तीन दिन बाद नतीजे आ जाएंगे। लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस के भीतर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कांग्रेस ने कागजों पर स्टार प्रचारकों को क्यों उतारा था। इसमें राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों समेत पूर्व कैबिनेट मंत्रियों तक को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आखिर इन लोगों ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रचार क्यों नहीं किया।

बड़े-बड़े नाम थे शामिल

उत्तर प्रदेश विधानसभा के नतीजों से पहले ही कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि आखिर कांग्रेस की ऐसी क्या मजबूरी रही कि बड़े-बड़े नेता यहां पर प्रचार करने ही नहीं आए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि जो सूची स्टार प्रचारकों की तैयार हुई थी, उसमें तकरीबन 75 फ़ीसदी नेता तो प्रचार करने आए ही नहीं। अगर कुछ आए भी तो महज खानापूर्ति के लिए एक-दो जनसभाएं करके वापस लौट गए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व कैबिनेट मंत्री गुलाम नबी आजाद, कद्दावर नेता कमलनाथ और पंजाब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जैसे कई बड़े नेता उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए आने वाले थे।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि परिणाम जो भी हो लेकिन पार्टी को बहुत ही गंभीर तरीके से इस मामले में सोचना चाहिए। क्योंकि इससे जनता में संदेश स्पष्ट नहीं जाता है। वह कहते हैं, यह बात अलग है कि भाजपा की केंद्र में सरकार है। इसलिए पूरे लाव लश्कर के साथ उनके ज्यादातर कैबिनेट मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद न सिर्फ पूरे उत्तर प्रदेश के चुनावों में मौजूद रहे, बल्कि आखिरी चरण में जिस तरीके से उन लोगों ने एकजुट होकर चुनाव प्रचार किया वह नजीर है। उक्त कांग्रेस नेता का आरोप है कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास बड़े चेहरे नहीं हैं, लेकिन संकट नेतृत्व का है। वे कहते हैं कि कांग्रेस को अभी भी कुछ चुनिंदा लोग ही चलाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके चलते चीजें ट्रैक पर आते-आते पलट जाती हैं।

बहुत कम आने वालों में राहुल भी शामिल

उत्तर प्रदेश में बहुत कम आने वाले नेताओं में राहुल गांधी का भी नाम शामिल है। कांग्रेस के उक्त नेता बताते हैं कि राहुल गांधी ने अमेठी के अलावा बनारस में ही रोड शो किया। कांग्रेस के नेता चर्चा करते हैं कि संभव है यह एक योजना के तहत हुआ हो लेकिन ऐसी योजना किस काम की, जिसमें आप अपने वोटर से मुखातिब भी ना हो सकें। कांग्रेस कार्यालय के कई वरिष्ठ नेता चर्चा इस बात की भी करते हैं कि सचिन पायलट प्रियंका गांधी के साथ महज एक रोड शो में ही शामिल हुए। जबकि वह स्टार प्रचारक की सूची में शामिल थे। इसी तरीके से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी प्रियंका गांधी के साथ तो आते-जाते रहे लेकिन उनकी बड़ी सभाएं नहीं हुईं। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शामिल कन्हैया कुमार भी महज दो दिन में ही चुनावी दौरा खत्म करके वापस लौट गए। इसी तरीके से हार्दिक पटेल भी उत्तर प्रदेश के स्टार प्रचारकों में शामिल थे, लेकिन वह भी आखिरी चरण में महज एक दिन में ही खानापूर्ति करके चले गए।

उत्तर प्रदेश में चुनावी बागडोर पूरी तरीके से प्रियंका गांधी के हाथ में ही रही। कांग्रेस से जुड़े नेता कहते हैं कि प्रियंका गांधी के साथ साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्टार प्रचारक थे और उनका भी दौरा नियमित लगा रहा। इसके अलावा स्टार प्रचारकों में शामिल आचार्य प्रमोद कृष्णम और इमरान प्रतापगढ़ी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अपनी सभाएं भी करते रहे और मौजूदगी भी दर्ज कराते रहे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक नेता कहते हैं कि राहुल गांधी की कम सक्रियता सबसे ज्यादा जनता के बीच चर्चा का विषय रही। वह कहते हैं कि अनुमान यही लगाया जा रहा था कि राहुल गांधी रायबरेली पहुंचेंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कुशीनगर देवरिया नोएडा मथुरा समेत कुछ अन्य जिलों से राहुल गांधी की रैली, जनसभा और रोड शो के लिए आधिकारिक तौर पर मांग की गई लेकिन राहुल गांधी उन जगहों पर नहीं पहुंचे।

सिस्टम से बाहर होंगे कुछ लोग

कांग्रेस से जुड़े केंद्रीय नेतृत्व के एक बड़े नेता कहते हैं कि वह लगातार इस बात की मांग करते रहे कि स्टार प्रचारकों को पूरा मौका मिलना चाहिए। उन्होंने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि परिणाम जो भी हो उसका न सिर्फ सम्मान किया जाएगा बल्कि अगले चुनावी समर की और ज्यादा मजबूती के साथ तैयारियां भी करेंगे। उक्त नेता ने इशारों इशारों में स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कुछ तथाकथित लोग ऐसे जुड़े रहे जिन्होंने चुनावी मैनेजमेंट को सही तरीके से लागू करने में घनघोर लापरवाही दिखाई। वह कहते हैं इस बात का अहसास पार्टी के अन्य जिम्मेदार लोगों को भी है। वह कहते हैं कि आने वाले चुनावों में ऐसे लोगों को बहुत तरीके से सिस्टम से बाहर भी कर दिया जाएगा।

 

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