उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव 14 फरवरी को होना है। चुनावी तारीख से पहले सभी पार्टियां जोरों-शोरों से चुनाव प्रचार में जुटी हैं। सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। इस बीच उत्तराखंड में कोटद्वार और हरिद्वार (ग्रामीण) सीटों पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है। यहां से दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां अपने पिता की हार का बदला लेने की तैयारी में हैं। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी भूषण को प्रतिष्ठित कोटद्वार सीट से जबकि कांग्रेस ने हरिद्वार ग्रामीण सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को मैदान में उतारा है।
क्यों दिलचस्प है इन सीटों पर मुकाबला?
खंडूरी 2012 में कोटद्वार से और 2017 में हरिद्वार ग्रामीण से हरीश रावत चुनाव हार गए थे। दोनों दिग्गजों ने मौजूदा मुख्यमंत्री के रूप में सीटों से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी ने 2012 में कोटद्वार में खंडूरी को 4,623 मतों से हराकर जीत दर्ज की थी। नेगी को 31,797 वोट मिले थे जबकि खंडूरी को 27,194 वोट मिले थे। इसी तरह, 2017 में हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ने वाले हरीश रावत भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद से हार गए, जिन्होंने उन्हें 12,278 मतों से हराया। जो बात इस मुकाबले को और दिलचस्प बनाती है, वह यह है कि दोनों का मुकाबला उन्हीं चुनौती देने वालों यानी नेगी और यतीश्वरानंद से है, जिन्होंने उनके पिता को हराया था।
रितु खंडूरी भूषण बनाम नेगी, किसे मिलेगा फायदा?
रितु खंडूरी भूषण ने 2017 में यमकेश्वर सीट से जीतकर राजनीतिक पदार्पण किया था। वहीं कोटद्वार के पूर्व विधायक और हरीश रावत सरकार में मंत्री रहे नेगी पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से हार गए थे। जहां नेगी पहले ही एक बार कोटद्वार सीट जीत चुके हैं और अनुभव के मामले में रितु भूषण से आगे हैं, वहीं रितु एक नया चेहरा हैं, और भाजपा के एक दिग्गज की बेटी होने के नाते माहौल उनके पक्ष में काम कर सकता है। रितु खंडूरी भूषण के पिता को उनकी राजनीतिक अखंडता के लिए काफी सम्मानित किया जाता है और कई लोगों द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक माना जाता है। हालांकि, धीरेंद्र चौहान, जिन्हें भाजपा ने कोटद्वार से टिकट से नहीं दिया वे अब निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे हैं और रितु खंडूरी भूषण की जीत की संभावना को खतरे में डाल सकते हैं।
मुश्किल होगी अनुपमा की चुनावी डगर?
चुनाव पर नजर रखने वालों का कहना है कि अनुपमा रावत, जो पहली बार चुनावी शुरुआत कर रही हैं, वे हरिद्वार ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में काफी समय से कड़ी मेहनत कर रही हैं और जमीनी स्तर पर लोगों के साथ जुड़ी हैं। दो बार के विधायक और पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए पहली बार चुनाव लड़ रहीं अनुपमा को उन्हें हराना एक मुश्किल काम होगा।